देश का मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट अगस्त में 9.3% घटकर 34.7 बिलियन डॉलर यानी 2.90 लाख करोड़ रुपए पर आ गया है। एक साल पहले इसी महीने में यह 38.28 बिलियन डॉलर (3.20 लाख करोड़ रुपए) रहा था। मंगलवार को जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, अगस्त महीने में इंपोर्ट 3.3% बढ़कर 64.36 बिलियन डॉलर यानी 5.39 लाख करोड़ रुपए रहा, जो एक साल पहले इसी महीने में 62.3 बिलियन डॉलर (5.21 लाख करोड़ रुपए) रहा था। कॉमर्स डिपार्टमेंट के अनुसार, ग्लोबल डिमांड में कमी और जियो पॉलिटिकल चैलेंजेस के कारण अगस्त में भारत का एक्सपोर्ट घटा है। अगस्त महीने के दौरान देश में आने वाले शिपमेंट में 3.3% की ग्रोथ हुई है, जिससे व्यापार घाटा यानी ट्रेड डेफिसिट 29.65 बिलियन डॉलर यानी 2.48 लाख करोड़ रुपए हो गया। एक्सपोर्ट में सालाना आधार पर 5.8% की ग्रोथ हुई
कॉमर्स सेक्रेटरी सुनील बर्थवाल ने कहा कि चीन में भारी मंदी, पेट्रोलियम की कीमतों में गिरावट, यूरोप में मंदी और ट्रांसपोर्टेशन और लॉजिस्टिक्स से जुड़े चैलेंजेस ने मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट को प्रभावित किया है। वित्तीय वर्ष के पहले तीन महीनों (अप्रैल-जून) के दौरान भारत से एक्सपोर्ट में सालाना आधार पर 5.8% की ग्रोथ हुई और यह 109.9 बिलियन डॉलर यानी 9.20 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया। 2024 में मर्चेंडाइज ट्रेड 2.6% और 2025 में 3.3% बढ़ेगा
अप्रैल में वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन (WTO) के ग्लोबल ट्रेड आउटलुक और स्टेटिस्टिक्स ने कहा कि उसे 2024 और 2025 में वर्ल्ड मर्चेंडाइज ट्रेड वॉल्यूम में धीरे-धीरे सुधार की उम्मीद है। जबकि 2023 में एडवांस इकोनॉमीज, विशेष रूप से यूरोप में एनर्जी की हाई प्राइसेज और इन्फ्लेशन के प्रभाव के कारण गिरावट आई थी। WTO ने कहा कि हमें उम्मीद है कि 2023 में 1.2% की गिरावट के बाद 2024 में मर्चेंडाइज ट्रेड 2.6% और 2025 में 3.3% बढ़ेगा। मल्टीलेटरल ट्रेड बॉडी ने चेतावनी दी कि रीजनल कनफ्लिक्ट्स और जियोपॉलिटिकल टेंशन फूड और एनर्जी प्राइसेज में और उछाल लाकर ट्रेड में उछाल की सीमा को सीमित कर सकते हैं। क्या होता है ट्रेड डेफिसिट?
जब एक निश्चित अवधि के दौरान देश का इंपोर्ट, एक्सपोर्ट से ज्यादा हो जाता है, तो वो ट्रेड डेफिसिट या व्यापार घाटे की कैटेगरी में आता है। इसे निगेटिव बैलेंस ऑफ ट्रेड भी कहते हैं। दूसरे शब्दों में, जब कोई देश बेचने से ज्यादा खरीदता है, तो उसे ट्रेड डेफिसिट कहा जाता है।
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