ब्रांड फाइनेंस की ग्लोबल फूड एंड ड्रिंक्स रिपोर्ट 2024 में अमूल को ग्लोबली स्ट्रॉन्गेस्ट फूड और डेयरी ब्रांड के रूप में रैंक किया गया है। अमूल ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर लिखा – हमें यह बताते हुए खुशी हो रही है कि दुनिया की लीडिंग ब्रांड कंसल्टेंसी ब्रांड फाइनेंस की ओर से अपनी रिपोर्ट में मोस्ट हमें मोस्ट वैल्युएबल, स्ट्रॉन्गेस्ट फूड, डेयरी और नॉन-अल्कोहलिक ब्रांड का दर्जा दिया है। ब्रांड फाइनेंस की एनुअल रिपोर्ट इंटरनेशनल मार्केट में अमूल के बढ़ते प्रभाव को हाइलाइट करती है। कंपनी की ब्रांड स्ट्रेंथ का वैल्युएशन 100 में से 91.0 के ब्रांड स्ट्रेंथ इंडेक्स (BSI) स्कोर के साथ किया गया, जिसमें AAA+ रेटिंग दी गई है। अमूल के बाद चीन की दो कंपनियां दूसरे और तीसरे नंबर पर
अमूल के बाद दूसरे और तीसरे नंबर पर चीन की मेंगनिउ डेयरी और यिली है। इस लिस्ट के टॉप 10 में भारत, वियतनाम, सऊदी, फिनलैंड और डेनमार्क की एक-एक कंपनी शामिल है। जबकि, चीन की 3 कंपनियां और फ्रांस की 2 कंपनियां शामिल हैं। बटर मार्केट में अमूल की 85% हिस्सेदारी
भारतीय बटर मार्केट में अमूल की 85% हिस्सेदारी है। जबकि, दूध मार्केट में अमूल की 85% हिस्सेदारी और पनीर मार्केट में 66% की हिस्सेदारी है। हालांकि, डेयरी इंडस्ट्री को अपनी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। रिपोर्ट में टॉप 10 डेयरी ब्रांड के कुल वैल्यू में 6% की गिरावट दर्ज की गई है, जो अब 43.8 बिलियन डॉलर है। फायदा कमाने वाला बिजनेस ऑर्गनाइजेशन नहीं, अमूल एक आंदोलन था
अमूल कोई कंपनी नहीं है। इसका कोई एक मालिक नहीं है। ये एक सहकारी समिति है। असल में ये एक सहकारी आंदोलन है। इसकी शुरुआत जब देश आजाद नहीं हुआ था तभी शुरू हो गया था। 1945 में गुजरात के खेड़ा जिले के किसानों ने ब्रिटिश सरकार की शोषणकारी नीति के खिलाफ हड़ताल शुरू कर दी थी। इसी के बाद 1946 में दो छोटे गांवों से रोजाना सिर्फ 247 लीटर दूध इकट्ठा कर अमूल सहकारी समिति की शुरुआत हुई। 1945 में कॉन्ट्रैक्टर आणंद से दूध इकट्ठा कर मुंबई भेजा करते थे। हालांकि, दूध उत्पादकों को दूध की सही कीमत न मिलने से उनमें रोष था। इसी के चलते सरदार पटेल ने मोरारजी देसाई की अध्यक्षता में 1946 में एक किसान बैठक बुलाई थी। इसमें सहकारी दुग्ध उत्पादक समितियों और जिला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ संचालित डेयरी की स्थापना का निर्णय लिया था। इस तरह खेड़ा जिला दुग्ध उत्पादक संघ की स्थापना के साथ 14 दिसंबर 1946 को अमूल की स्थापना हुई थी। एक मैकेनिकल इंजीनियर बन गया भारत का ‘मिल्कमैन’
अमूल को ब्रांड बनाने में डॉ. वर्गीज कुरियन का अहम योगदान रहा है। केरल के 28 साल के मैकेनिकल इंजीनियर वर्गीज कुरियन डेयरी के संचालन करने सरकारी कर्मचारी के रुप में 1949 में आणंद शहर आए थे। तब कोई नहीं जानता था कि डॉ. कुरियन आणंद को भारत की दुग्ध राजधानी बना देंगे। उनके संचालन में 1955 में अमूल (आनंद मिल्क यूनियन लिमिटेड) का जन्म हुआ। 55 साल की ‘अमूल गर्ल’ का आज भी कोई जवाब नहीं
पोल्का डॉटेड फ्रॉक में बटर लगी ब्रेड स्लाइस पर जीभ घुमाने वाली लड़की आज अमूल की ब्रांड आइडेंटिटी बन चुकी है। अमूल के प्रोडक्ट्स, होर्डिंग्स, एडवरटाइजमेंट और सोशल मीडिया समेत हर जगह करंट टॉपिक पर एक लाइन में मैसेज देने वाली ‘अमूल गर्ल’ का जन्म 1966 में हुआ था।
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