अमेरिका में ब्याज-दरें घटीं, RBI भी कम कर सकता है:आधा फीसदी घटकर 6% हो सकती है, ​​​​​​लोन सस्ता मिलेगा; शेयर बाजार में भी तेजी

अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने 18 सितंबर को ब्याज दरों में चार साल बाद कटौती की है। 50 बेसिस पॉइंट (0.5%) की कटौती एक्सपर्ट्स की उम्मीदों से ज्यादा है। अब ब्याज दरें 4.75% से 5.25% के बीच रहेंगी। अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी इकोनॉमी है, ऐसे में इसके सेंट्रल बैंक के हर बड़े फैसले का असर दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ता है। कटौती का इम्पैक्ट​: भारत में भी ब्याज दरें कम हो सकती है, ​​​​​​लोन सस्ता मिलेगा 2020 से फेडरल रिजर्व ने 11 बार में 4.50% से ज्यादा ब्याज दरें बढ़ाईं मार्च 2020 से अमेरिकी सेंट्रल बैंक ने तीन बार ब्याज दरें कम की, इसमें कोरोना महामारी के दौरान 2 बार में सबसे ज्यादा 1.5% रेट्स कट हुईं। हालांकि, उसके बाद अगले 11 मीटिंग्स में फेड ने ब्याज दरों में 4.50% से ज्यादा की बढ़ोतरी की। यह प्री-कोविड पीरियड यानी मार्च 2020 के लेवल से भी ज्यादा है। अक्टूबर 2019 तक फेड रेट्स 1.50% से 1.75% के बीच थीं। 2020 से रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने 5 बार में 1.10% ब्याज दरें बढ़ाईं वहीं, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने कोरोना के दौरान (27 मार्च 2020 से 9 अक्टूबर 2020) दो बार ब्याज दरों में 0.40% की कटौती की। इसके बाद अगले 10 मीटिंग्स में सेंट्रल बैंक ने 5 बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी की, चार बार कोई बदलाव नहीं किया और एक बार अगस्त 2022 में 0.50% की कटौती की। कोविड से पहले 6 फरवरी 2020 को रेपो रेट 5.15% पर था। भारत में मार्च 2025 तक 0.25% की कटौती हो सकती है महंगाई से लड़ने का शक्तिशाली टूल है पॉलिसी रेट किसी भी सेंट्रल बैंक के पास पॉलिसी रेट के रूप में महंगाई से लड़ने का एक शक्तिशाली टूल है। जब महंगाई बहुत ज्यादा होती है, तो सेंट्रल बैंक पॉलिसी रेट बढ़ाकर इकोनॉमी में मनी फ्लो को कम करने की कोशिश करता है। पॉलिसी रेट ज्यादा होगी तो बैंकों को सेंट्रल बैंक से मिलने वाला कर्ज महंगा होगा। बदले में बैंक अपने ग्राहकों के लिए लोन महंगा कर देते हैं। इससे इकोनॉमी में मनी फ्लो कम होता है। मनी फ्लो कम होता है तो डिमांड में कमी आती है और महंगाई घट जाती है। इसी तरह जब इकोनॉमी बुरे दौर से गुजरती है तो रिकवरी के लिए मनी फ्लो बढ़ाने की जरूरत पड़ती है। ऐसे में सेंट्रल बैंक पॉलिसी रेट कम कर देता है। इससे बैंकों को सेंट्रल बैंक से मिलने वाला कर्ज सस्ता हो जाता है और ग्राहकों को भी सस्ती दर पर लोन मिलता है।

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