घरेलू शेयर बाजार में एआई बॉट्स से ट्रेडिंग बढ़ रही है। सेबी की रिसर्च के मुताबिक वित्त वर्ष 2024 में वायदा बाजार (फ्यूचर एंड ऑप्शंस) में एल्गोरिदम ट्रेडिंग की मदद से विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) और प्रोप्राइटरी ट्रेडर्स ने 59 हजार करोड़ की कमाई की। वहीं, टेक्नोलॉजी की ताकत से अनजान आम निवेशकों ने 61 हजार करोड़ रुपए गंवा दिए। रिपोर्ट के मुताबिक प्रॉप ट्रेडर डेस्क ने लगभग 32 हजार करोड़ और FII ने 26,840 करोड़ रुपए कमाए। प्रॉप ट्रेडर्स ऐसी फाइनेंशियल कंपनियां या कमर्शियल बैंक हैं, जो डायरेक्ट ट्रेडिंग करके मुनाफा कमाते हैं। ये क्लाइंट की तरफ से निवेश करके कमीशन नहीं लेते। यहां हम आपको एल्गोरिदम ट्रेडिंग के बारे में वो सब कुछ बता रहें हैं जो आपके लिए जानना जरूरी है… एल्गोरिदम ट्रेडिंग कैसे होती है? एल्गोरिदम कंप्यूटर प्रोग्रामिंग और फाइनेंशियल मार्केट को जोड़ता है, ताकि सटीक समय पर ट्रेड किए जा सकें। इसमें इंसानी भावनाओं की जगह नहीं होती। ट्रेडिंग ऑटो मोड पर होती है। पर आम लोग अपनी समझ से ट्रेडिंग करते हैं, जिसमें गलतियों की गुंजाइश ज्यादा होती है। कितने लोगों ने कमाई की? FPI का 97% व प्रॉप ट्रेडर्स का 96% मुनाफा एल्गोरिदम से आया। 376 FII में से 306 व 626 प्रॉप ट्रेडर्स में से 347 ने इसका इस्तेमाल किया। 1-2% रिटर्न पर ट्रेड करते हैं निवेशक: जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के रिसर्च हेड विनोद नायर के मुताबिक FII और प्रॉप ट्रेडर्स जैसी बड़ी संस्थाएं 1-2% रिटर्न के लिए वायदे में ट्रेडिंग करती हैं। उनका ऑर्डर करोड़ों में होता है, लिहाजा 1% रिटर्न भी लाखों में होता है। वे लालच में नहीं पड़ते। उनके पास स्मार्ट टेक्नोलॉजी का पूरा इन्फ्रास्ट्रक्चर होता है। लालच में गलती करते हैं छोटे निवेशक: नायर के मुताबिक, छोटे निवेशक सही समय पर प्रॉफिट बुक नहीं करते। वे सही वक्त पर स्टॉप लॉस भी नहीं लगाते हैं। अमूमन रिटर्न बढ़ाने या घाटा कम करने के प्रयास में वे सौदे को आगे बढ़ाने का रिस्क लेते हैं। यही सबसे बड़ी चूक साबित होती है। वायदा ट्रेडिंग के लिए मोबाइल फोन सही प्लेटफॉर्म नहीं है। यहां गहन एनालिसिस या एल्गो ट्रेडिंग की ज्यादा गुंजाइश नहीं होती। 5 साल में 40 गुना बढ़ी शेयरों की वायदा ट्रेडिंग: 2019 से लेकर अब तक देश के घरेलू बाजार में वायदा कारोबार 40 गुना बढ़ा है। फरवरी में एफएंडओ सेगमेंट का टर्नओवर 502 लाख करोड़ रुपए के रिकॉर्ड लेवल पर पहुंच गया। यह देश की पूरी अर्थव्यवस्था से भी ज्यादा है। इस बीच बाजार नियामक सेबी ने कई मौकों पर छोटे निवेशकों को चेताया कि वे वायदे में बड़ी संस्था के ऊंचे रिटर्न की देखादेखी इस बाजार में न उतरें।
Posted inBusiness