कोलकाता रेप-मर्डर केस को लेकर प्रोटेस्ट कर रहे डॉक्टरों से इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के प्रमुख आरवी असोकन ने काम पर लौटने की अपील की है। उन्होंने बुधवार (4 सितंबर) को कहा कि आपका गुस्सा जायज है, लेकिन इस मामले में न्याय देने का काम सुप्रीम कोर्ट पर छोड़ दीजिए। कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर के साथ 8-9 अगस्त की रात रेप-मर्डर केस में जूनियर डॉक्टरों का प्रदर्शन 26वें दिन भी जारी है। प्रदर्शनकारी डॉक्टर मामले के आरोपियों को सजा देने और पुलिस कमिश्नर विनीत गोयल के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। बुधवार शाम कोलकाता समेत देश के कई हिस्सों में लोगों ने इस घटना के खिलाफ विरोध जताने के लिए अपने घरों की लाइट बंद कीं और कैंडिल जलाकर प्रदर्शन किया। कोलकाता में राजभवन में भी ब्लैकआउट किया गया। IMA चीफ का पूरा स्टेटमेंट पढ़ें…
असोकन ने स्टेटमेंट जारी कर कहा कि आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर के रेप और मर्डर ने पूरे देश की अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया है। पूरा देश इस बात से गुस्सा और हताशा महसूस कर रहा है कि विक्टिम न सिर्फ एक भावी डॉक्टर थी, बल्कि लोअर-मिडिल क्लास पेरेंट्स की इकलौती बेटी भी थी। पूरे देश ने उसे अपनी बेटी की तरह मान लिया है। उन्होंने कहा कि इस घटना को लेकर मेडिकल फ्रैटरनिटी का गुस्सा जायज है। आपका प्रोटेस्ट करना सही है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हमसे कहा है कि हम उस पर भरोसा करें। न्याय और चिकित्सा कभी रुकने नहीं चाहिए। जब सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी बात कही है तो भारत के नागरिक होने के नाते, पूरी मेडिकल फ्रैटरनिटी को उसकी बात माननी चाहिए। मरीजों की देखभाल और सुरक्षा हमारे मेडिकल प्रोफेशन की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। मॉडर्न मेडिसिन के सभी डॉक्टरों को न्याय की जिम्मेदारी सुप्रीम कोर्ट पर छोड़कर मरीजों की देखभाल करने को लौट आना चाहिए। – IMA चीफ सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टरों को हड़ताल खत्म करने को कहा था
22 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई थी। इसमें CJI ने कहा था कि डॉक्टर काम पर लौट आएं। अस्पतालों की स्थिति जानता हूं। मैं खुद एक सरकारी अस्पताल के फर्श पर सोया हूं, जब मेरे परिवार का एक सदस्य बीमार था। वापस आने के बाद आप पर कोई एक्शन नहीं लिया जाएगा। इसके बाद AIIMS के डॉक्टरों ने 11 दिन से चल रही हड़ताल खत्म कर दी थी। CJI ने कहा था कि हमें बताया गया कि डॉक्टर काम पर वापस जाने के लिए तैयार हैं। राज्य सरकारें डॉक्टरों के लिए कुछ सुरक्षा इंतजाम कर सकती हैं। हम केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को निर्देश देते हैं कि वे राज्य के मुख्य सचिवों और DGP के साथ मिलकर सुरक्षा सुनिश्चित करें। यह एक्सरसाइज 1 हफ्ते में पूरी हो जानी चाहिए। राज्य 2 हफ्ते के अंदर इसे लागू करें। विक्टिम के परिवार के वकील बोले- एंटी रेप बिल किसी काम का नहीं
इधर, CPI(M) सांसद और विक्टिम के परिवार के वकील बिकाश रंजन भट्टाचार्य ने बुधवार को कहा कि एंटी-रेप बिल अपराजिता पेश करना मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तरफ से उठाया गया बेकार कदम है। इसका मकसद असल मुद्दे पर ध्यान देना नहीं, बल्कि केंद्र सरकार पर निशाना साधना है। भट्टाचार्य ने यह भी कहा कि ममता सरकार के पास किसी कानून को लागू करने की वैधानिक ताकत है और उसी के मुताबिक उन्होंने ये बिल पेश किया है, लेकिन यह किसी काम का नहीं है। कोई एजेंसी इतने सीमित समय में जांच पूरी करके ट्रायल के लिए नहीं जा सकती है और उसे सीमित समय में खत्म नहीं कर सकती है। ये सिर्फ लोकलुभावन बातें हैं। आखिर में इसका कोई नतीजा नहीं निकलने वाला। इससे ममता को सिर्फ केंद्र सरकार से लड़ने का एक और मौका मिल जाएगा क्योंकि इस बिल को प्रेसिडेंट की अनुमति मिलना मुश्किल है। इसके बाद ममता फिर केंद्र के खिलाफ नारे लगाएंगीं। इस बिल को पेश करने का यही कारण था। ये खबर भी पढ़ें… आरजी कर के पूर्व प्रिंसिपल सुप्रीम कोर्ट पहुंचे:हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी, वित्तीय गड़बड़ी की जांच CBI को देने के खिलाफ याचिका लगाई कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष ने बुधवार (4 सितंबर) को सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई। इसमें उसने 13 अगस्त को हाईकोर्ट के दिए आदेश को चुनौती दी है। हाईकोर्ट ने CBI को आरजी कर रेप-हत्या केस और अस्पताल में वित्तीय गड़बड़ी की जांच CBI को सौंपी थी। सुप्रीम कोर्ट याचिका पर 6 सितंबर को सुनवाई करेगा। पूरी खबर यहां पढ़ें…
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