नॉर्थ कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन ने देश के 30 अधिकारियों को फांसी की सजा दी है। साउथ कोरियाई मीडिया टीवी चोसुन की रिपोर्ट के मुताबिक, इन अधिकारियों को नॉर्थ कोरिया में आई बाढ़ से निपटने में असफल रहने की सजा दी गई है। दरअसल, नॉर्थ कोरिया में जुलाई में भारी बारिश की वजह से भूस्खलन और बाढ़ आ गई थी। इस दौरान करीब 1 हजार लोगों की मौत हो गई थी। वहीं 4 हजार घर तबाह हो गए थे। हालांकि, किम जोंग ने इन आंकड़ों को खारिज कर दिया था। उन्होंने खुद बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा किया था। अधिकारी भ्रष्टाचार और फर्ज न निभाने के मामले में दोषी
जिन अधिकारियों को फांसी की सजा दी गई है, उन्हें भ्रष्टाचार और अपना फर्ज न निभाने के मामलों में दोषी पाया गया। उन्हें आपदा के दौरान हुए नुकसान और मौतों का जिम्मेदार ठहराया गया है। वहीं नॉर्थ कोरिया के स्टेट मीडिया KCNA ने कहा है कि किम जोंग ने अधिकारियों को कड़ी सजा देने का ऑर्डर दिया है। हालांकि, यह अधिकारी कौन हैं, इसकी जानकारी सामने नहीं आई है। तानाशाह किम जोंग ने कहा है कि बाढ़ प्रभावित इलाकों को दोबारा खड़ा करने में 2-3 महीने का समय लग सकता है। उन्होंने देश के 3 प्रांतों को स्पेशल डिजास्टर इमरजेंसी जोन घोषित किया है। साउथ कोरियाई मीडिया कोरियन टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना महामारी के बाद से नॉर्थ कोरिया में सार्वजनिक तौर पर सजा-ए-मौत दिए जाने के मामले बढ़ गए हैं। कोरोना से पहले तक नॉर्थ कोरिया में एक साल में 10 सार्वजनिक मौत की सजा के मामले सामने आए थे। लेकिन अब हर साल करीब 100 लोगों को यह सजा दी जा रही है। 30 नाबालिगों को सरेआम गोली मारी थी
इससे पहले जुलाई में किम जोंग उन की तानाशाह सरकार ने 30 नाबालिग छात्रों को सरेआम गोली मार दी थी। इन छात्रों पर आरोप था कि उन्होंने साउथ कोरिया में बने सीरियल देखे थे, जिन्हें कोरियन ड्रामा या केसाउथ कोरिया के स्थानीय टीवी चैनल ‘चोसुन’ के मुताबिक छात्रों ने पेन ड्राइव में स्टोर किए गए कई साउथ कोरियान ड्रामा देखे थे। इन -ड्रामा कहा जाता है। वहीं जून में भी 17 साल के करीब 30 नाबालिगों को आजीवन कारावास और मौत की सजा सुनाई गई थी। BBC की रिपोर्ट के मुताबिक इस साल जनवरी में दो नाबालिगों के पास कोरियन वीडियो मिली थी, जिसके बाद उन्हें 12 साल की कठोर मजदूरी की सजा सुनाई गई थी। उत्तर कोरिया में जापान, कोरियन और अमेरिकन ड्रामा पर बैन है। वहां केवल रूस का सिनेमा या फिर जिसे सरकार सही मानती है, वही दिखाया जाता है। नॉर्थ कोरिया के दिसंबर 2020 में लागू हुए रिएक्शनरी आइडियोलॉजी एंड कल्चर रिजेक्शन एक्ट के तहत साउथ कोरियन मीडिया को लोगों तक पहुंचाने वाले को मौत की सजा और देखने वालों के लिए 15 साल तक जेल की सजा का प्रावधान है।
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