पाकिस्तान में शिया-सुन्नी के बीच जमीन विवाद में फिर झड़प:36 की मौत, 80 से ज्यादा घायल; 30 एकड़ जमीन के लिए है विवाद

पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा के कुर्रम जिले में शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच जमीनी विवाद में कम से कम 36 लोग मारे गए हैं। 80 से ज्यादा लोग घायल हैं। न्यूज एजेंसी AP के मुताबिक दोनों समुदाय के बीच 5 दिनों से झड़प जारी है। कुर्रम में तैनात एक अधिकारी ने बताया कि लड़ाई में कई घर जला दिए गए हैं। हिंसा खत्म करने के लिए सरकार की कोशिश अब तक नाकाम साबित हुई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक पिछले कुछ साल में कुर्रम में कई बार शिया-सुन्नी विवाद हो चुका है। सुन्नी समुदाय को सीमा पार के अफगान कबीले का समर्थन मिलता है। जुलाई में भी दोनों समुदायों के बीच जमीन को लेकर विवाद शुरू हुआ था जिसमें 50 से ज्यादा लोग मारे गए थे। 2 परिवारों के बीच शुरू हुई लड़ाई, पूरे जिले में फैली
इस विवाद की जड़ 30 एकड़ की जमीन है। इसके मालिकाना हक को लेकर कुर्रम जिले के बुशेहरा गांव में दो कबीलों के बीच विवाद है। अगस्त में अधिकारियों ने आदिवासी समुदाय जिरगा के बुजुर्गों के साथ मिलकर दोनों समुदायों के बीच समझौता कराया था, जिसके बाद कुछ समय तक के लिए विवाद थम गया था। पाकिस्तानी अखबार डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक सुन्नी मिदगी और शिया मलीखेल समुदायों के बीच विवाद 2007 में शुरू हुआ था। तब भी हिंसा की घटनाएं हुई थीं। पिछले साल जुलाई में भी विवाद हुआ था, जिसमें कई लोग मारे गए थे। पिछले साल खत्म हुआ विवाद, फिर शुरू हुआ
जुलाई 2023 में दोनों पक्षों के बीच लड़ाई के थमने के बाद इनके बीच एक समझौता कराया गया। इसमें तय हुआ कि सरकार तय करेगी कि जमीन किसकी है। जमीन विवाद हल कराने वाली लैंड कमीशन का नियम ही दोनों पक्षों को मानना होगा।इसके बाद कमीशन ने अपना फैसला सुनाया और ये जमीन शिया समुदाय को दे दी। लेकिन एक साल बाद इसे लेकर फिर विवाद शुरू हो गया। जुलाई 2024 में जमीन से जुड़े एक विवाद पर बातचीत हो रही थी, तभी एक शख्स ने गोली चला दी। इसके बाद दोनों समुदायों के बीच खूनी संघर्ष शुरू हो गया था। पाकिस्तान बनने से पहले के हैं कई विवाद, अब तक हल नहीं निकला
समा चैनल की रिपोर्ट के मुताबिक फिलहाल कुर्रम में आठ बड़े संघर्ष चल रहे हैं। इनमें से ज्यादातर पाकिस्तान बनने से पहले के हैं। ये सभी मामले जमीन से जुड़े हुए हैं।लैंड रिफॉर्म्स न होने की वजह से ये विवाद अब तक जारी है। जब भी इनमें विवाद शुरू होता है तो वह कबीले की लड़ाई से निकलकर सांप्रदायिक संघर्ष में तब्दील हो जाता है।

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