पुणे की एक कोर्ट ने पोर्श केस मामले में नाबालिग लड़के के पेरेंट्स सहित 6 लोगों की जमानत याचिका गुरुवार (22 अगस्त) को रद्द कर दी। कोर्ट ने कहा कि आरोपियों ने एक्सीडेंट के बाद सड़क पर सॉफ्टवेयर इंजीनियर युवक-युवती का खून सूखने से पहले सबूतों से छेड़छाड़ शुरू कर दी थी। पुणे के कल्याणी नगर इलाके में 18-19 मई की रात 17 साल 8 महीने के एक लड़के ने IT सेक्टर में काम करने वाले बाइक सवार युवक-युवती को टक्कर मारी थी। दोनों की मौके पर मौत हो गई। घटना के समय आरोपी नशे में था। वह 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से कार चला रहा था। नाबालिग के माता-पिता विशाल और शिवानी अग्रवाल पर अस्पताल में अपने बेटे का ब्लड सैंपल बदलवाने का आरोप है, जिससे यह साबित हो सके कि हादसे के समय वह नशे में नहीं था। इस मामले में ससून अस्पताल के डॉ. अजय तवारे, डॉ. श्रीहरि हलनोर, बिचौलिये अशपाक मकंदर और अमर गायकवाड़ भी आरोपी हैं। जज बोले- जमानत देने से गलत मैसेज जाएगा
डिस्ट्रिक्ट जज और एडिशनल सेशन जज यू एम मुधोलकर ने अपने ऑर्डर में कहा कि आरोपियों को जमानत देने से निश्चित रूप से गवाहों और सबूतों से छेड़छाड़ होगी। कोर्ट ने कहा कि इससे गलत मैसेज जाएगा। मृतकों के परिवार के साथ-साथ समाज को न्याय नहीं मिल सकेगा। 900 पेज की चार्जशीट, नाबालिग का नाम नहीं
पुणे पोर्श केस में 25 जुलाई को पुलिस ने 900 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी। हालांकि, इसमें 17 साल के नाबालिग आरोपी का नाम शामिल नहीं किया गया। नाबालिग का मामला जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड (JJB) में है। नाबालिग के माता-पिता, ससून अस्पताल के दो डॉक्टर, एक कर्मचारी और दो बिचौलिए को आपराधिक षड्यंत्र रचने और साक्ष्य मिटाने से संबंधित धाराओं के तहत आरोपी बनाया गया है। आरोपी को निबंध लिखने की शर्त पर जमानत मिली थी पोर्श एक्सीडेंट के बाद पुणे पुलिस ने आरोपी को उसी रात गिरफ्तार किया था। उसे जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के सामने पेश किया था। बोर्ड ने आरोपी को 7 मामूली शर्तों पर जमानत दे दी थी। बोर्ड ने उसे सड़क दुर्घटनाओं पर 300 शब्दों का निबंध लिखने और शराब छोड़ने के लिए काउंसिलिंग लेने को कहा था। बोर्ड के फैसले के खिलाफ पुणे पुलिस सेशन कोर्ट पहुंची। पुलिस ने कहा कि नाबालिग आरोपी पर बालिग की तरह कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए, क्योंकि उसका अपराध गंभीर है। सेशन कोर्ट ने पुलिस को बोर्ड में रिव्यू पिटिशन देने को कहा।22 मई को जुवेनाइल बोर्ड ने नाबालिग को फिर से तलब किया और उसे 5 जून तक के लिए बाल सुधार गृह भेज दिया। बॉम्बे हाईकोर्ट ने आरोपी को जमानत दी
हालांकि, बॉम्बे हाईकोर्ट ने 25 जून को नाबालिग को जमानत दे दी थी। तब कोर्ट ने कहा कि हमें आरोपी के साथ वैसे ही पेश आना होगा, जैसे हम कानून का उल्लंघन करने वाले किसी और बच्चे के साथ पेश आते। फिर चाहे अपराध कितना भी गंभीर क्यों न हो। हाईकोर्ट के आदेश के बाद किशोर को सुधार गृह से रिहा कर दिया गया और उसकी हिरासत उसकी मौसी को सौंप दी गई थी। नाबालिग के माता-पिता सहित अब तक 9 गिरफ्तार
पुणे क्राइम ब्रांच ने सोमवार (19 अगस्त) की रात 2 लोगों को पोर्श मामले में गिरफ्तार किया था। पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार के अनुसार, दोनों ने घटना के दिन कार में मौजूद नाबालिग आरोपी के दोस्तों का ब्लड सैंपल बदलवाया था। पुणे पुलिस के अनुसार, अब तक मामले में 9 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। इनमें नाबालिग के माता-पिता, ससून अस्पताल के दो डॉक्टर, एक कर्मचारी, दो बिचौलिए और दो अन्य लोग शामिल हैं। पूरी खबर पढ़ें… डॉक्टर का कबूलनामा- 50 लाख में डील हुई, 3 लाख मिले थे
पोर्श केस के आरोपी डॉक्टरों में शामिल डॉ. हलनोर ने पूछताछ में बताया था कि ब्लड सैंपल बदलने के लिए नाबालिग के पिता विशाल अग्रवाल और उनके बीच 50 लाख रुपए की डील हुई थी। विशाल अग्रवाल ने डॉ. अजय तावरे से संपर्क किया था। हादसे के बाद दोनों के बीच 15 बार वॉट्सऐप पर बातचीत हुई। लेनदेन की पूरी बात वॉट्सऐप कॉल पर ही की गई। तावरे के कहने पर विशाल अग्रवाल ने पहली किस्त के 3 लाख रुपए दिए थे। पूरी खबर पढ़ें…
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