गूगल ने लीडरशिप में बड़ा बदलाव किया है। भारतीय मूल के प्रभाकर राघवन कंपनी के नए चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर (सीटीओ) बने हैं। गूगल एआई के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है और टीम को रिस्ट्रक्चर कर रही है। राघवन की नियुक्ति इसी कवायद का हिस्सा है। इस क्षेत्र में गूगल को माइक्रोसॉफ्ट जैसे बड़े टेक दिग्गजों से प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है। राघवन के अब तक के करिअर और उनसे जुड़ी उपलब्धियों पर नजर डालते हैं। दुनिया में सर्च-एल्गोरिदम की सबसे प्रभावशाली शख्सियत
राघवन की पहचान एक विश्व स्तरीय कम्प्यूटर वैज्ञानिक की है। उनके पास एल्गोरिदम, वेब खोज और डेटाबेस पर 20 वर्षों से अधिक का रिसर्च है। 100 से अधिक रिसर्च पेपर हैं। टेक और वेब की दुनिया के 20 से अधिक पेटेंट हैं। 12 साल पहले जुड़े, गूगल सर्च जैसी बड़ी यूनिट संभाली
वे 12 साल पहले गूगल से जुड़े थे। बतौर सीनियर वाइस प्रेसिडेंट गूगल सर्च, असिस्टेंट, गूगल एड्स, कॉमर्स और पेमेंट्स प्रोडक्ट्स जैसे अहम डिवीजन में रहे। कंपनी की बड़ी कमाई यहीं से होती है। 1990 के दशक में सर्च इंजन कंपनी शुरू करने के करीब थे
1998 में लैरी पेज-सर्गेई ब्रिन ने गूगल शुरू किया। राघवन ने इससे पहले ही गूगल जैसी कंपनी खड़ी करने के बारे में सोच लिया था। 1990 के दशक में स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में छात्रों के साथ सर्च इंजन के कॉन्सेप्ट पर कंपनी खड़ी करने का ब्लूप्रिंट तैयार किया था, पर वे याहू से जुड़ गए। जी सूट में स्मार्ट रिप्लाई, स्मार्ट कम्पोज जैसे एआई फीचर जोड़े
वे गूगल एप्स, गूगल क्लाउड डिवीजन के वाइस प्रेसिडेंट रह चुके हैं। उनके नेतृत्व में गूगल का एप्स बिजनेस ने नई ऊंचाइयां पाई। उन्होंने जीमेल और ड्राइव दोनों को आगे बढ़ाया। जी सूट में कई मशीन इंटेलिजेंस फीचर्स पेश किए, जिनमें स्मार्ट रिप्लाई, स्मार्ट कम्पोज, ड्राइव क्विक एक्सेस शामिल हैं। कंपनी में सीईओ जैसी पहचान, सालाना 300 करोड़ का पैकेज
गूगल में उन्हें ‘कंपनी के सीईओ’ के तौर पर देखा जाता है। वे अल्फाबेट के सीईओ सुंदर पिचाई के भरोसेमंद लोगों में गिने जाते हैं। बीते साल उन्हें वेतन और स्टॉक के तौर 300 करोड़ रुपए मिले। वे गूगल में सर्वाधिक वेतन पाने वाले टॉप-5 लोगों में हैं। भोपाल में स्कूली शिक्षा और आईआईटी मद्रास से
राघवन की पढ़ाई भोपाल, चेन्नई व मैनचेस्टर में हुई है। स्कूली शिक्षा भोपाल के कैम्पियन स्कूल से व इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग आईटआईटी मद्रास से की। कुछ मायनों में, राघवन और पिचाई दोनों एक जैसे हैं। दोनों दक्षिण भारतीय हैं। दोनों ने ही आईआईटी मद्रास से पढ़ाई की है। राघवन ने यूसी बर्कले से पीएचडी की है। लेकिन पिचाई ने मैनेजमेंट की पढ़ाई पर फोकस किया। ट्रैफिक को सुगम बनाने से लेकर जंगल की आग से निपटने तक एआई उपयोगी
गूगल के सीटीओ प्रभाकर राघवन ट्रैफिक को सुगम बनाने से लेकर जंगल की आग से निपटने तक एआई बेहद उपयोगी है। इसमें सरकारों के कामकाज में पारदर्शिता लाने के साथ-साथ बदलाव लाने की क्षमता है। पर्यावरण बचाने में भी बड़ा योगदान कर सकता है।
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