बांग्लादेश के जेशोरेश्वरी मंदिर में मां दुर्गा का मुकुट चोरी:पीएम मोदी ने 3 साल पहले चढ़ाया था, चोर का मुकुट ले जाते हुए CCTV फुटेज वायरल

बांग्लादेश के जेशोरेश्वरी मंदिर से मां काली का मुकुट चोरी हो गया है। यह सोने की परत चढ़ा चांदी का मुकुट है। इस घटना का CCTV फुटेज शुक्रवार को सामने आया। पीएम मोदी 2021 में बांग्लादेश दौरे के दौरान जेशोरेश्वरी मंदिर दर्शन के लिए गए थे। इस दौरान उन्होंने यह मुकुट मंदिर में चढ़ाया था। मोदी की ये यात्रा कोविड-19 के बाद किसी देश की पहली यात्रा थी। भारत ने चोरी की घटना पर आपत्ति जताई है। ढाका में भारतीय उच्चायोग ने कार्रवाई करने की मांग की है। मंदिर में चोरी के वक्त के फुटेज… टी-शर्ट के अंदर से मुकुट छुपाकर भागा चोर
मंदिर से मुकुट चोरी के CCTV वीडियो में जींस और टी-शर्ट पहने एक लड़का मंदिर में घुसते हुए दिखाई दे रहा है। मुकुट को उठाने के बाद वह उसे अपने टी-शर्ट के अंदर छिपा लेता है और फिर चोरी के बाद वह आराम से मंदिर से निकल जाता है। चोरी गुरुवार को दोपहर करीब 2 बजे से 2.30 बजे के बीच में हुई। मंदिर की सेवादार ने देखा कि देवी के सिर से मुकुट गायब था। इसके बाद श्यामनगर पुलिस को इसकी जानकारी दी गई। श्यामनगर पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर तैजुल इस्लाम ने कहा कि वे चोर की पहचान करने के लिए मंदिर के CCTV फुटेज की जांच कर रहे हैं। मंदिर की महिला सेवादार रेखा सरकार ने कहा- दोपहर में मंदिर में प्रसाद वितरण किया जा रहा था। इसके बाद पुजारी दिलीप कुमार बनर्जी ने मुझे चाबी थमा दी। फिर मैं बगल के ट्यूबवेल पर चली गई और पूजा के बर्तन धोने लगी। अनजाने में मंदिर का दरवाजा खुला रह गया था। वहां से एक-दो मिनट बाद मैंने देखा कि माता का मुकुट गायब था। बाद में मैंने मंदिर में मौजूद सभी लोगों को यह बात बताई। बांग्लादेश पूजा उद्घोषक परिषद की श्यामनगर उपजिला शाखा के उपाध्यक्ष कृष्ण मुखर्जी ने कहा कि यह मंदिर तीर्थस्थल है। भारत के प्रधानमंत्री के आने के बाद से मंदिर के बारे में लोग और जानने लगे थे। 51 शक्ति पीठों में से एक है जेशोरेश्वरी मंदिर
मां काली का जेशोरेश्वरी मंदिर हिंदू धर्म में 51 शक्ति पीठों में से एक माना जाता है। मान्यताओं के मुताबिक, इस मंदिर में माता सती की बाईं हथेली गिरी थी। इसका नाम ‘जेशोरेश्वरी’ इसलिए रखा गया क्योंकि यह जेस्सोर इलाके (आज का बांग्लादेश) में है। मंदिर में देवी की मूर्ति को शक्ति और समर्पण की प्रतीक माना जाता है, और यहां श्रद्धालु माता से आशीर्वाद प्राप्त करने आते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस मंदिर में जो भी भक्त आता है उसको भय, रोग से मुक्ति मिलती है। साथ ही भक्तों की सभी मनोकामनाओं को माता पूरा करती हैं। इस मंदिर का इसका निर्माण 12वीं शताब्दी में अनारी नाम के एक ब्राह्मण ने करवाया था। इसमें 100 दरवाजे हुआ करते थे। 13वीं शताब्दी में लक्ष्मण सेन और 16वीं शताब्दी में राजा प्रतापदित्य ने इसका पुनर्निर्माण किया था। बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यक हिंदुओं के खिलाफ हिंसा की घटनाएं बड़ी संख्या में सामने आई थीं।

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