5 अगस्त 2024… वो तारीख, जब बांग्लादेश में तख्तापलट हुआ था। रात करीब 1 बजे भारतीय खुफिया एजेंसी का एक अधिकारी गुप्त लोकेशन पर था। वह बांग्लादेश के घटनाक्रम की जानकारी अपने कमांड सेंटर को भेज रहा था। उसे फोन में टाइप करने में वक्त लग रहा था। लिहाजा उसने तमाम जानकारी सादे कागज पर लिखकर उसकी फोटो कमांड सेंटर भेजनी शुरू की। उसे बांग्लादेश के तख्तापलट का सिरा 16 महीने पहले मिलता है। इस तख्तापलट के कई राज बांग्लादेश की खुफिया एजेंसियों की डायरी में दर्ज हैं। इन दस्तावेज में उन चेहरों की जानकारी भी है, जिन्होंने तख्तापलट की योजना बनाई। भास्कर के पास मौजूद गोपनीय दस्तावेज मई 2023 से अगस्त 2024 के बीच के घटनाक्रम को सिलसिलेवार तरीके से बयां करते हैं। इनके मुताबिक बांग्लादेश में तख्तापलट की स्क्रिप्ट पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI और अमेरिका की इंटेलिजेंस एजेंसी CIA ने मिलकर लिखी। मई 2023: विपक्षी पार्टी BNP के नेता अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA के संपर्क में आए
बांग्लादेश के चुनाव से पहले मई 2023 में अमेरिका के असिस्टेंट सेक्रेटरी ऑफ स्टेट डोनाल्ड लू और बांग्लादेश में अमेरिका के राजदूत पीटर हास एक लंच मीटिंग के लिए बांग्लादेशी राजदूत से मिले थे। मीटिंग के दौरान उन्होंने बांग्लादेशी राजदूत को चेताया था कि अगर वहां स्वतंत्र चुनाव नहीं होते हैं तो इसके लिए जिम्मेदार लोगों के अमेरिकन वीजा पर पाबंदी लगाने की तैयारी की जा रही है। इधर, शेख हसीना ने अपने चुनावी अभियान में उन पर अमेरिकी दबाव के बारे में इशारा किया था। खुफिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बांग्लादेश की मुख्य विपक्षी पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी यानी BNP के नेता CIA के संपर्क में थे। हसीना चुनाव कराने और जीतने में कामयाब रहीं तो तख्तापलट पर तेजी से काम शुरू हुआ। अक्टूबर 2023: हसीना को ‘भारतीय एजेंट’ बताकर उनके खिलाफ कैंपेन शुरू हुआ
अक्टूबर 2023 में बांग्लादेश में चुनाव के पहले से ही विपक्षी पार्टियां उन्हें ‘भारतीय एजेंट’ बताती आई हैं। इस कैंपेन को दो रंग दिए जा रहे थे। पहला- भारत ने बांग्लादेश को अपनी एक कॉलोनी या उपनिवेश बनाकर रखा है। और दूसरा- शेख हसीना भारतीय एजेंट हैं, जिसने अपना तख्त बचाने के लिए देश भारत को बेच दिया है। अप्रैल 2024 में शेख हसीना सरकार ने एक आंतरिक सर्वे करवाया। इसके मुताबिक उनकी लोकप्रियता में चुनाव के बाद 10-15% की गिरावट देखी गई। कैम्पेन का असर दिखना शुरू हो चुका था। यह बांग्लादेश में होने वाले तख्तापलट के शुरुआती रुझान थे, लेकिन इस योजना की शुरुआत इससे काफी पहले हो चुकी थी। मार्च 2024: अमेरिकी राजदूत थाईलैंड गए, इसी दौरान विद्रोही KNF को हथियार पहुंचे
बांग्लादेश में 6 जनवरी 2024 को नई सरकार बनने के दो महीने बाद यानी 8 मार्च 2024 को बांग्लादेश में अमेरिकी राजदूत पीटर हास बांग्लादेश छोड़कर सिंगापुर के लिए निकले। वहां से थाईलैंड होते हुए वे अमेरिका गए और 17 दिन बाद 26 मार्च 2024 को लौटे। आधिकारिक तौर पर हास थाईलैंड में कुछ दिन छुट्टियां मनाने के बाद वॉशिंगटन गए थे, लेकिन इसी दौरान अमेरिका में 117 से 119 पन्नों की एक खुफिया रिपोर्ट पेश की गई। इसमें बांग्लादेश में चल रहे ‘मानवाधिकार हनन’ और ‘लोकतांत्रिक अधिकार हनन’ का ब्योरा था। इस रिपोर्ट को अमेरिकी विदेश मंत्रालय और अमेरिकी कांग्रेस के सामने पेश किया जाना था। खुफिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मार्च में ही आधुनिक हथियारों का एक शिपमेंट थाईलैंड से म्यांमार होते हुए बांग्लादेश के कुकी-चिन नेशनल फ्रंट यानी KNF के विद्रोहियों के पास पहुंचा। यह संगठन चिटगांव हिल्स की पहाड़ियों में अपनी गतिविधियां चलाता है। KNF ने अप्रैल में आतंकवादी गतिविधियां शुरू कर दीं। KNF विद्रोहियों ने 2 अप्रैल 2024 को बांग्लादेश के रूम उप-जिले में मौजूद सोनाली बैंक में लूट-पाट की। इसके अगले दिन थानची उप-जिला में सोनाली बैंक और कृषि बैंक की ब्रांच को लूटने की कोशिश की और पुलिस से 15 हथियार छीन लिए। बांग्लादेश सरकार और KNF के बीच मई 2023 से शांति वार्ता चल रही थी। मार्च 2024 में ही दूसरे दौर की वार्ता हुई थी। इसके कुछ दिन बाद ही KNF ने फिर बांग्लादेश सरकार के खिलाफ हथियार उठा लिए। सूत्रों के अनुसार पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI और अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA ने मिलकर तख्तापलट प्लॉट का दूसरा पार्ट प्लान किया। जून 2024: हसीना ने भरोसेमंद वजीर को आर्मी चीफ बनाया, लेकिन योजना नाकाम रही
हसीना ने संभावित तख्तापलट रोकने के लिए जून 2024 में अपने भरोसेमंद वकार-उ-जमा को आर्मी चीफ के पद पर नियुक्त कर दिया, लेकिन उनका यह कदम नाकाफी साबित हुआ। बांग्लादेश पर नजर रखने वाले एक इंटेलिजेंस सोर्स ने भास्कर को बताया कि प्रदर्शन को रणनीतिक तौर पर उस समय हिंसक किया गया, जब बांग्लादेश आर्मी के पास मोबिलाइज होने की गुंजाइश सबसे कम थी। जुलाई के आखिर में अक्सर आधा बांग्लादेश बाढ़ की चपेट में होता है। सिलहट में बांग्लादेश आर्मी की 17 और मेमनसिंह में 19वीं डिवीजन है। इसके अलावा बारीसाल में आर्मी की 7वीं डिवीजन है। इन तीनों जगह बाढ़ की वजह से आर्मी अपने सैनिकों को चाहकर भी ढाका नहीं बुला सकती थी। इसके अलावा राजशाही में आर्मी की 11वीं और रंगपुर में 66वीं डिवीजन है, लेकिन हिंसा की पहली वारदात इन्हीं इलाकों से शुरू हुई। इसके चलते यहां से बहुत सीमित मात्रा में सैनिकों को ढाका बुलवाया जा सका। आर्मी के पास प्रदर्शन के दौरान पूरी तरह से दो ही ऑपरेशन डिवीजन बचीं। एक खुलना में स्थित 55 डिवीजन और एक ढाका के पास मौजूद 9 डिवीजन। इन दो डिवीजन के जरिए प्रदर्शनकारियों को रोकना मुश्किल काम था। इंटेलिजेंस सूत्र बताते हैं कि सैनिकों की कम तादाद के अलावा बांग्लादेश आर्मी के सामने एक और चुनौती थी। बांग्लादेश की आर्मी में बड़े पैमाने पर राजनीतिकरण है। खास तौर पर नीचे की रैंक में एक बड़ा तबका जमात-ए-इस्लामी की तरफ झुकाव रखता है। अगर ऐसे में बांग्लादेश आर्मी प्रदर्शनकारी छात्रों पर गोली चलाने का आदेश देती तो आर्मी में विद्रोह होने का खतरा था। ऐसे हालात में आर्मी ने कुछ ना करने में ही अपनी भलाई समझी। फिर जुलाई 2024 में पाक की खुफिया एजेंसी ISI ने जमात-ए-इस्लामी के जरिए छात्रों के प्रदर्शन में अपने आदमी घुसाने शुरू कर दिए। इसी के बाद प्रदर्शन हिंसक होता चला गया। बांग्लादेश के हालात से जुड़ी भास्कर की ये खबरें भी पढ़ें… भारत आने से पहले हसीना के साथ क्या-क्या हुआ:तीनों सेनाओं के चीफ इस्तीफा लेने पहुंचे, पीछे के दरवाजे से आवास छोड़ा तारीख- 5 अगस्त 2024, बांग्लादेश में शेख हसीना के खिलाफ हुआ प्रदर्शन हिंसक हो चुका था। 1 दिन पहले ही पुलिस से मुठभेड़ में कुल 100 लोगों की मौत हो गई थी। इस बीच ढाका से 1826 किलोमीटर दूर भारत की राजधानी दिल्ली में 2 अर्जियां भेजी जाती हैं। पूरी खबर पढ़ें…
Credit: Dainik Bhaskar