बुलंदशहर रेप पीड़ित का अबॉर्शन मुश्किल:6 माह का गर्भ; 12 घंटे बाद पुलिस ने लिखी FIR; विधायक के रिश्तेदार का करीबी है आरोपी

बुलंदशहर में राधा स्वामी सत्संग ब्यास आश्रम में दो छात्राओं से रेप के मामले में दो नई जानकारियां सामने आई हैं। पहली, पीड़ित बच्ची 4 नहीं, 6 महीने की गर्भवती है। ऐसे में उसका अबॉर्शन मुश्किल है। दूसरी- दोनों पीड़ित छात्राओं का परिवार FIR दर्ज कराने के लिए 12 घंटे तक पुलिस स्टेशन में बैठा रहा। आखिरकार लखनऊ में CM हेल्पलाइन में शिकायत करने के बाद FIR दर्ज हो पाई। शिकायत दर्ज होने की देरी की वजह आरोपी सेवादार मोहनलाल राजपूत (75) की भाजपा विधायक के दामाद से करीबी बताई जा रही है। बुलंदशहर में 23 अक्टूबर को राधा स्वामी सत्संग ब्यास आश्रम में 13 साल की दो बच्चियों के साथ रेप का मामला सामने आया था। इसकी जानकारी तब हुई जब एक बच्ची प्रेग्नेंट हो गई। पुलिस ने इस मामले में सेवादार मोहनलाल राजपूत को गिरफ्तार किया है। उसने अपना जुर्म कबूल लिया है। ‘दैनिक भास्कर’ ने ग्राउंड पर लगातार दूसरे दिन रहकर समझा कि FIR में 12 घंटे की देरी क्यों हुई? आरोपी सेवादार का कितना रसूखदार है? इस पूरी घटना पर आश्रम के केयरटेकर क्या कहते हैं? पढ़िए पूरी रिपोर्ट… पीड़ित 6 महीने की प्रेग्नेंट, 13 साल की बच्ची की डिलीवरी कैसे होगी?
इस पूरे केस में दोनों पीड़ित बच्चियों की मेडिकल जांच 24 अक्टूबर को बुलंदशहर के सरकारी अस्पताल में हुई। रिपोर्ट में पता चला कि एक पीड़ित बच्ची 6 महीने की प्रेग्नेंट है। 7 दिन बाद उसकी प्रेग्नेंसी के 6 महीने पूरे हो जाएंगे। इससे पहले अल्ट्रासाउंड में 4 महीने की प्रेग्नेंट होने की बात सामने आई थी। सूत्रों ने बताया- डॉक्टरों ने पीड़ित परिवार को जानकारी दी है कि पीड़ित का अबॉर्शन नहीं हो सकता। क्योंकि गर्भ में पल रहे बच्चे का साइज बड़ा हो चुका है। ऐसे में अब सवाल यह है कि 13 साल की बच्ची की डिलीवरी कैसे होगी? इसके लिए पुलिस और पीड़ित परिवार कानूनी राय भी ले रहे हैं। लखनऊ में शिकायत के बाद पुलिस ने दर्ज की FIR
सबसे पहले हम उस लड़की के घर पहुंचे, जो मेडिकल जांच में प्रेग्नेंट मिली है। यहां हमें लड़की के चाचा मिले। उन्होंने बताया-23 अक्टूबर की सुबह 10 बजे हम स्याना पुलिस स्टेशन पर पहुंच गए थे। हमने पुलिस को अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट दिखाई। रिपोर्ट दर्ज करने का आग्रह किया। पुलिस पूरे दिन टाल-मटोल करती रही। पीड़ित परिवारों को थाने में बैठे-बैठे सुबह से शाम हो गई। हम थाने पर ही बैठे रहे। किसी ने बताया कि तुम मुख्यमंत्री हेल्पलाइन नंबर 1076 पर लखनऊ कंट्रोल रूम को फोन करो। हमने वहां फोन किया। पूरी घटना बताई। उसके एक घंटे बाद रिपोर्ट दर्ज हो पाई। रिपोर्ट दर्ज होने में करीब 12 घंटे की देरी हुई, यह बात परिवार के थाने में पहुंचने की टाइमिंग और दोनों दर्ज FIR की कॉपी देखने से पता चला। पहली FIR 23 अक्टूबर की रात 9 बजकर 29 मिनट पर और दूसरी FIR रात 10 बजकर 10 मिनट पर दर्ज हुई है। भास्कर रिपोर्टर से इस बात की तस्दीक आरोपी सेवादार के परिवार ने भी की। आरोपी की भतीजी ने बताया कि 23 अक्टूबर की सुबह 10.29 बजे पुलिसवाले घर आए थे। उन्होंने पूछताछ की थी। रेप पीड़ित परिवार से कहा- पैसा मिलेगा और शादी भी करवा देंगे
प्रेग्नेंट हुई पीड़ित के चाचा ने बताया कि सबसे पहले 22 अक्टूबर की सुबह मुझे सबसे पहले इस घटना का पता चला। पत्नी ने मुझे फोन करके घर बुलाया और बताया कि भतीजी का पेट कुछ फूला हुआ है। हम उसको तुरंत अस्पताल में ले गए। वहां अल्ट्रासाउंड कराया। इसमें वह प्रेग्नेंट मिली। हम घबरा गए। कुछ समझ ही नहीं आया। बच्ची से पूछा तो उसने पूरा घटनाक्रम और आरोपी का नाम बताया। अस्पताल से लेकर हम बच्ची को घर वापस आए। यह बात गांव में भी लोगों का पता चल गई। यहां पंचायतों का दौर शुरू हो गया। ग्राम प्रधान ममता देवी और विधायक प्रतिनिधि देवेंद्र प्रधान की तरफ से हम पर समझौता करने का दबाव आया। यह तक कहा गया कि समझौता करने पर पैसा मिलेगा और बेटी की शादी भी करवा देंगे। ममता देवी मौजूदा प्रधान हैं। इनके परिवार से ही देवेंद्र प्रधान हैं, जो भाजपा विधायक देवेंद्र सिंह लोधी के दामाद हैं। आरोपी मोहनलाल राजपूत भी उन्हीं की जाति का है। दोनों परिवार एक दूसरे के करीबी हैं। विधायक के दामाद बोले- मैंने कोई दबाव नहीं बनाया
FIR में 12 घंटे देरी क्यों हुई? क्या विधायक के दामाद देवेंद्र सिंह ने पुलिस और परिवार पर दबाव बनाया? पीड़ित परिवार के इस आरोप पर हम देवेंद्र प्रधान का पक्ष जानने के लिए उनकी दुकान पर पहुंचे। उन्होंने बताया- जिस दिन अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट आई, उसी दिन दोनों लड़कियों के परिजन मेरे पास इकट्ठा होकर आए। उन्होंने मुझे पूरा घटनाक्रम बताया और आरोपी सेवादार को बुलाने के लिए कहा। मैंने सेवादार को बुलाया, लेकिन वो नहीं आए। फिर मैंने पीड़ित परिवारों से कहा कि FIR करा दो। इसके बाद से पीड़ित परिवारों ने मुझसे कोई संपर्क नहीं किया। मैंने किसी पर समझौते का दबाव नहीं बनाया। ये सब झूठी बातें हैं। न ही मैंने पुलिस को कोई फोन किया। अगर ऐसा है तो कोई एक व्यक्ति सामने आकर मेरे मुंह पर यह बात कह दे। मैंने तो इन लोगों (पीड़ित परिवार) से यह तक कहा कि जहां मेरी जरूरत पड़े, मैं आपके साथ हूं। इस केस में पुलिस भी मेरे पास आई। मैंने पुलिस से कहा कि जो आरोपी है, उसे उठाइए और कार्रवाई कीजिए। SHO ने कहा- आरोपी 75 साल का था, जांच में टाइम लगा
FIR इतनी देर से क्यों लिखी गई, हमने स्याना कोतवाली के SHO प्रेमचंद शर्मा से बात की। उन्होंने बताया- शिकायत प्राप्त होने के तुरंत बाद ही इस केस की जांच शुरू कर दी। तुरंत गांव में एक पुलिस टीम भेजी गई। आरोपी सेवादार मोहनलाल फरार मिला। पुलिस ने उसके पौत्र को हिरासत में ले लिया और थाने ले आई। आरोपी सेवादार भी कुछ देर बाद पकड़ा गया। मामला राधा स्वामी सत्संग ब्यास से जुड़ा हुआ था। इसलिए प्रारंभिक जांच करनी जरूरी थी। जिस बुजुर्ग पर आरोप लगे, उसकी उम्र 75 साल थी। जबकि पीड़ित लड़कियों की उम्र सिर्फ 13 साल है। यानी पीड़िता और आरोपी के बीच उम्र का डिफरेंस भी ज्यादा था। इसलिए हर बात पर आसानी से भरोसा भी नहीं हो पा रहा था। पुलिस ने प्रारंभिक जांच की। उसमें आरोप सही पाए गए। इसके बाद तत्काल FIR और फिर आरोपी की गिरफ्तारी की गई। इस केस में हमने कोई डिले नहीं किया, लेकिन हम यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि कार्रवाई एकदम सही और मजबूत हो। केयरटेकर बोले- पहले पता चलता तो बाबा को आश्रम से बाहर कर देते
जिस राधा स्वामी सत्संग ब्यास आश्रम में दोनों बच्चियों से रेप हुआ है, हमने उसके केयरटेकर जयेंद्र का भी पक्ष जाना। जयेंद्र ने बताया- आरोपी मोहनलाल यहां पर चौकीदार है। इस पूरे आश्रम में करीब 30-32 सेवादार हैं, जिनकी रोस्टर से रात में ड्यूटी लगती है। जबकि मोहनलाल यहां पर 24 घंटे रहता है। यहां पर किसी को ट्रस्ट की तरफ से कोई पैसा नहीं मिलता। मोहनलाल की उम्र 60 साल से ज्यादा है, इसलिए राधा-स्वामी ब्यास ने उन्हें बैच नंबर भी अलॉट नहीं किया था, जबकि यहां सेवा करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को बैच नंबर मिलता है। दरअसल, यहां भी 60 की उम्र के बाद सेवादार को रिटायरमेंट देने का प्रावधान है। जयेंद्र ने आगे बताया- हमें आज तक इस तरह की कोई सूचना नहीं मिली। वरना हम पहले ही मोहनलाल को आश्रम से बाहर कर देते। इस पूरे प्रकरण में हम पीड़ित लड़कियों के साथ खड़े हैं। आरोपी के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। पीड़ित का अबॉर्शन अब मुश्किल क्यों, जानिए क्या कहता है नियम…
मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (MTP) एक्ट के तहत, किसी भी शादीशुदा महिला, रेप विक्टिम, दिव्यांग महिला और नाबालिग लड़की को 24 हफ्ते तक की प्रेग्नेंसी अबॉर्ट करने की इजाजत दी जाती है। 24 हफ्ते से ज्यादा की प्रेग्नेंसी होने पर मेडिकल बोर्ड की सलाह पर कोर्ट से अबॉर्शन की इजाजत लेनी पड़ती है। MTP एक्ट में बदलाव साल 2020 में किया गया था। उससे पहले 1971 में बना कानून लागू होता था। बुलंदशहर की रेप पीड़िता 6 महीने यानी करीब 42 हफ्ते की प्रेग्नेंट निकली है। ऐसे में उसका अबॉर्शन मुश्किल है। रिपोर्ट सहयोगी : अमन त्यागी
————————————————- क्राइम से जुड़ी यह खबर भी पढ़ें… वाराणसी में थाने में लेट गईं पूर्व ब्लॉक प्रमुख…हंगामा: बोलीं- BJP नेता ने बाल खींचे, स्टाफ को पीटा वाराणसी में पूर्व ब्लॉक प्रमुख कुसुम चंद्रा सिंह ने 25 अक्टूबर को थाने में जमकर हंगामा किया। बेटे के साथ गेट पर लेट गईं। आरोप लगाया कि गाजीपुर जिला पंचायत अध्यक्ष सपना सिंह के पति और भाजपा नेता पंकज सिंह ने उनके बेटे और स्टाफ को पीटा। मेरे भी बाल नोचे और मारपीट की। कहा- अगर 50 लाख नहीं दोगी तो तुम्हारे बेटे और तुमको काटकर फेंक देंगे। पुलिस ने कार्रवाई का आश्वासन देकर पूर्व ब्लॉक प्रमुख को घर भेज दिया। पढ़ें पूरी खबर

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