सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को 1 अक्टूबर तक बुलडोजर एक्शन पर रोक लगा दी है। अदालत ने कहा कि अगली सुनवाई तक देश में एक भी बुलडोजर कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए। अदालत ने कहा कि हम स्पष्ट कर दें कि इस ऑर्डर में सड़कों, फुटपाथों, रेलवे लाइंस के अवैध अतिक्रमण नहीं शामिल हैं। केंद्र ने इस ऑर्डर पर सवाल उठाया। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि संवैधानिक संस्थाओं के हाथ इस तरह नहीं बांधे जा सकते हैं। इस पर जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने कहा- अगर कार्रवाई दो हफ्ते रोक दी तो आसमान नहीं फट पड़ेगा। आप इसे रोक दीजिए, 15 दिन में क्या होगा? कोर्ट धारणाओं से प्रभावित नहीं होता, लेकिन हम साफ कर रहे हैं कि हम किसी भी अवैध अतिक्रमण के बीच नहीं आएंगे, लेकिन अधिकारी जज नहीं बन सकते। कोर्ट रूम लाइव… जमीयत-ए-उलेमा-ए-हिंद: हर दिन तोड़फोड़ हो रही है। केंद्र सरकार: 2022 में नोटिस दिए गए और उसके बाद कार्रवाई की गई। इस बीच अपराध हुए। सुप्रीम कोर्ट: 2024 में कार्रवाई में इतनी जल्दबाजी क्यों हो रही है, नोटिस तो 2022 में जारी किए गए थे। केंद्र सरकार: एक धारणा बनाई जा रही है। सुप्रीम कोर्ट: बाहरी शोर से हम प्रभावित नहीं होते हैं। अभी हम इस पॉइंट पर नहीं जा रहे हैं कि किस समुदाय पर एक्शन लिया जा रहा है। अगर एक भी अवैध बुलडोजर एक्शन है तो यह संविधान के खिलाफ है। सुप्रीम कोर्ट: धारणाओं से हम प्रभावित नहीं होते हैं। हम साफ कर दे रहे हैं कि हम किसी भी अवैध अतिक्रमण के बीच नहीं आएंगे, लेकिन अधिकारी जज नहीं बन सकते हैं। केंद्र सरकार: याचिकाकर्ता कह रहे हैं कि धर्म विशेष के लिए तोड़फोड़ की कार्रवाई हो रही है। सुप्रीम कोर्ट: अभी हमारा मकसद डिमोलेशन की कार्रवाई को व्यवस्थित करना है। केंद्र सरकार: जिन पर कार्रवाई की गई है, वो कोर्ट आए ही नहीं। उन्हें पता है कि निर्माण अवैध है। 2 हफ्ते कार्रवाई नहीं होगी तो कोई आसमान नहीं फट पड़ेगा। आप अपने हाथ रोक दीजिए। 15 दिन में क्या हो जाएगा। जमीयत-ए-उलेमा-ए-हिंद: इस अदालत ने आदेश दिया था, इसके बावजूद कुछ पत्थरबाजी की घटनाएं हुईं और उसी रात घर गिरा दिए गए। यह रोज हो रहा है। केंद्र सरकार: MP का एक मामला है। जहां 70 दुकानों को गिरा दिया गया, इनमें से 50 दुकानें हिंदुओं की थीं। सुप्रीम कोर्ट: इस मामले की सुनवाई 1 अक्टूबर को करेंगे, तब तक देश में एक भी तोड़-फोड़ नहीं होनी चाहिए। केंद्र सरकार: इस तरह संवैधानिक संस्थाओं के हाथ नहीं बांधे जाने चाहिए। सुप्रीम कोर्ट: 2 हफ्ते कार्रवाई नहीं होगी तो कोई आसमान नहीं फट पड़ेगा। आप अपने हाथ रोक दीजिए। 15 दिन में क्या हो जाएगा। बुलडोजर एक्शन से जुड़े मामलों पर बीती दो सुनवाई 12 सितंबर: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- बुलडोजर एक्शन कानूनों पर बुलडोजर
सुप्रीम कोर्ट ने 12 सितंबर को भी कहा था कि बुलडोजर एक्शन देश के कानूनों पर बुलडोजर चलाने जैसा है। मामला जस्टिस ऋषिकेश रॉय, जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच में था। दरअसल, गुजरात में नगरपालिका की तरफ से एक परिवार को बुलडोजर एक्शन की धमकी दी गई थी। याचिका लगाने वाला खेड़ा जिले के कठलाल में एक जमीन का सह-मालिक है। 2 सितंबर: कोर्ट ने कहा था- अतिक्रमण को संरक्षण नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने 2 सितंबर को सुनवाई के दौरान कहा था कि भले ही कोई दोषी क्यों न हो, फिर भी कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना ऐसा नहीं किया जा सकता। हालांकि बेंच ने यह भी स्पष्ट किया था कि वह सार्वजनिक सड़कों पर किसी भी तरह अतिक्रमण को संरक्षण नहीं देगा। लेकिन, इस मामले से जुड़ी पार्टियां सुझाव दें। हम पूरे देश के लिए गाइडलाइन जारी कर सकते हैं। तीन राज्य जहां पिछले 3 महीने में बुलडोजर एक्शन हुआ ये खबर भी पढ़ें… एमपी में 2 साल में 12 हजार बार बुलडोजर एक्शन, कमलनाथ ने किया ट्रायल, शिवराज ने स्पीड दी मोहन भी इसी राह पर क्यों एमपी में बुलडोजर एक्शन की शुरुआत 90 के दशक में हुई थी। उस समय बुलडोजर विकास का प्रतीक था। पूर्व सीएम बाबूलाल गौर ने पटवा सरकार में नगरीय प्रशासन मंत्री रहते हुए अतिक्रमण हटाने के लिए बुलडोजर का इस्तेमाल किया था। साल 2017 में योगी आदित्यनाथ यूपी के सीएम बने। उन्होंने बुलडोजर को कानून व्यवस्था से जोड़ दिया। यूपी के इस मॉडल को 2018 में मप्र की कमलनाथ सरकार ने अपनाया। जब एमपी में शिवराज सरकार की वापसी हुई तो बुलडोजर की स्पीड बढ़ गई। पढ़ें पूरी खबर…
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