हिंद महासागर में चीन को काउंटर करने के लिए बने क्वाड संगठन की बैठक इस साल भारत में नहीं होगी। भारत ने क्वाड समिट होस्ट करने की अपनी बारी को अमेरिका के साथ एक्सचेंज किया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत 2025 में क्वाड होस्ट करेगा। दरअसल, पहले भारत में क्वाड समिट जनवरी 2024 में होने वाला था। हालांकि, उस वक्त अमेरिका ने राष्ट्रपति बाइडेन के पास समय न होने का हवाला देते हुए समिट को सितंबर तक के लिए टाल दिया था। क्वाड समिट में सदस्य देशों के राष्ट्र प्रमुख शामिल होते हैं। ये संगठन की सबसे अहम बैठक होती है। अमेरिका में क्वाड 21 सितंबर को हो सकता है। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, ऑस्ट्रेलिया के पीएम एंथनी अल्बनीज और जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा शामिल होंगे। सूत्रों के मुताबिक क्वाड की बैठक अमेरिका में होने से बाइडेन को राष्ट्रपति के तौर पर अपना आखिरी समिट होस्ट करने का मौका मिलेगा। इससे तय है कि साल के अंत में होने वाले अमेरिकी चुनाव में जो भी उम्मीदवार जीतेगा वो क्वाड के लिए भारत आएगा। यानी कमला हैरिस और ट्रम्प में से एक की भारत यात्रा तय है। बाइडेन के होमटाउन में होगी क्वाड की बैठक
क्वाड अमेरिका में बाइडेन के गृह राज्य डेलावेयर में होगा। यह जापान के प्रधानमंत्री फूमियो किशिदा के लिए भी क्वाड की आखिरी बैठक होगी क्योंकि वे अगले साल चुनाव में उम्मीदवारी पेश नहीं करेंगे। वहीं, प्रधानमंत्री मोदी अब संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा में भाषण नहीं देंगे। उनका भाषण 26 सितंबर को होने वाला था। नए शेड्यूल के मुताबिक 28 सितंबर को विदेश मंत्री एस जयशंकर उनकी जगह भाषण देंगे। प्रधानमंत्री मोदी 21 सितंबर को क्वाड बैठक में शामिल होंगे। इसके बाद वे 22 को न्यूयॉर्क में भारतीय समुदाय को संबोधित करेंगे। मोदी 22-23 सितंबर को UN के समिट फॉर फ्यूचर कार्यक्रम में भी हिस्सा लेंगे। भारत चाहता था न्यूयॉर्क में हो क्वाड, अमेरिका नहीं माना
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक भारत का न्यूयॉर्क में समिट होस्ट करने का प्लान था। हालांकि, 21 सितंबर को शनिवार है और अमेरिकी राष्ट्रपति वीकेंड पर डेलावेयर में अपने घर और बीच पर जाते हैं। इसके चलते अमेरिका ने डेलावेयर में समिट होस्ट करने का फैसला किया। 2023 में भी टाली जा चुकी क्वाड की बैठक
2023 की क्वाड मीटिंग जापान के हिरोशिमा शहर में हुई थी। पहले ये समिट ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में होनी थी। हालांकि उस वक्त अमेरिका में कर्ज के संकट के चलते बाइडेन के कहने पर इसे टाल दिया गया था। इसे बाद इसे G7 देशों की बैठक के साथ शेड्यूल किया गया। हिरोशिमा में पीएम मोदी ने 2024 की बैठक भारत में होने की घोषणा की थी। इसके लिए सभी सदस्य देशों के प्रमुखों को भारत आना था। क्वाड की अध्यक्षता हर साल सभी सदस्य देशों के बीच रोटेट होती है। 2023 में इसकी अध्यक्षता जापान के पास रही। भारत के लिए क्यों जरूरी है QUAD?
QUAD रणनीतिक तौर पर चीन के आर्थिक और सैन्य उभार को काउंटर करता है इसलिए ये गठबंधन भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण बन जाता है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि चीन का भारत के साथ लंबे समय से सीमा विवाद रहा है। ऐसे में अगर सीमा पर उसकी आक्रामकता ज्यादा बढ़ती है, तो इस कम्युनिस्ट देश को रोकने के लिए भारत QUAD के अन्य देशों की मदद ले सकता है। साथ ही QUAD में अपना कद बढ़ाकर भारत चीनी मनमानियों पर अंकुश लगाते हुए एशिया में शक्ति संतुलन भी कायम कर सकता है। QUAD के विकास में रोड़े अटकाता रहा है चीन
2007 में अपने गठन के बाद से QUAD ज्यादा तेजी से विकास नहीं कर पाया। इसकी प्रमुख वजह QUAD को लेकर चीन का कड़ा विरोध है। शुरू में चीन के विरोध की वजह से भारत ने इसे लेकर हिचकिचाहट दिखाई। चीनी विरोध की वजह से ही ऑस्ट्रेलिया भी 2010 में QUAD से हट गया था, हालांकि, वह बाद में फिर इससे जुड़ गया। 2017 में भारत-अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान ने चीन को काउंटर करने के लिए इस गठबंधन को फिर से पुनर्जीवित करने का फैसला लिया। इसके बाद 2017 में QUAD की पहली आधिकारिक बातचीत फिलीपींस में हुई थी। मार्च 2021 में हुए QUAD देशों के पहले सम्मेलन में जारी एक संयुक्त बयान में बिना चीन का नाम लिए बगैर हिंद-प्रशांत क्षेत्र को किसी देश के दखल से बचाने की प्रतिबद्धता जताई गई।
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