भारत और ब्रिटेन के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) के लिए जरूरी मुद्दों पर लगभग सहमति बन गई है। FTA से भारत को बड़ा फायदा होने वाला है। पहली बार हर साल लगभग 20 हजार भारतीयों को अस्थायी वीजा मिलेगा। ये वीजा भारतीय स्किल्ड प्रोफेशनल्स को मिलेगा। इससे भारतीय पेशेवर ब्रिटेन में 2 महीने से एक साल तक काम कर पाएंगे। भारत लंबे समय से ब्रिटेन से FTA के लिए वीजा कानून में ढील देने की मांग कर रहा था। सुनक सरकार के साथ भारत की बात नहीं बन पाई क्योंकि वे इस पर सहमति नहीं बना पा रहे थे। दरअसल, कंजरवेटिव पार्टी की प्रवासी विरोधी नीतियों के कारण भारतीय पेशेवरों को वीजा में छूट देने का विरोध किया जा रहा था। अब कीर स्टार्मर की लेबर सरकार ने वीजा को लेकर भारत की मांग मान ली है। ब्रिटेन की नई सरकार के विदेश मंत्री डेविड लैमी ने हाल में भारतीय पक्ष के साथ 14 वें दौर की बातचीत की। ब्रिटेन- भारत बिजनेस काउंसिल के एमडी केविन मैकोल के अनुसार इस साल FTA पर मुहर लग जाएगी। ऐसी संभावना है कि दिवाली तक FTA लागू हो जाएगा। स्किल्ड प्रोफेशनल्स पर भारत ने ब्रिटेन से अपनी शर्तें मनवाईं ब्रिटेन में जाने वाले स्किल्ड प्रोफेशनल्स (कुशल पेशेवर) की संख्या में भारतीय आगे थे। ब्रिटेन ने पिछले साल 50 हजार भारतीय प्रोफेशनल्स को वीजा जारी किया था। भारतीय की मांग है कि पांच साल के लिए दिए जाने वाले स्किल्ड प्रोफेशनल्स कैटेगरी के साथ-साथ अस्थायी वीजा भी जारी किए जाएं। इससे ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को फायदा मिलेगा। अस्थायी वीजा जारी नहीं करने की वजह से भारतीय प्रोफेशनल्स के अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड का रुख करने लगे हैं। इसे रोकने के लिए ब्रिटेन, भारत की शर्त मानने को राजी हो गया।अस्थायी वीजा पर भारतीयों को NHS फीस से भी छूट दी गई है। ब्रिटेन में वीजाधारकों को फ्री हेल्थ सर्विस के लिए आवेदन के साथ नेशनल हेल्थ सर्विस (NHS) सरचार्ज देना पड़ता है। ब्रेग्जिट के बाद ब्रिटेन के लिए जरूरी है भारत के साथ FTA ब्रिटेन के 2016 में यूरोपीय यूनियन (EU) छोड़ने के बाद से बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के साथ FTA जरूरी है। ब्रिटेन ने अब तक ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के साथ FTA किया है। कनाडा के साथ बातचीत चल रही है। भारत एक बड़ा बाजार है, इसलिए ब्रिटेन भारत के साथ FTA डील करना चाहता है। यूरोपीय यूनियन में होने के कारण जर्मनी, फ्रांस और इटली यूरोपीय बाजारों में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। जबकि ब्रिटेन पिछड़ता जा रहा है। ब्रिटेन में लेबर पार्टी के कीर स्टार्मर ने चुनाव के दौरान ब्रिटिश वोटर्स से वादा किया था कि अगर वे सत्ता में आएंगे तो भारत के साथ FTA को नई ऊंचाई पर ले जाएंगे। सर्विस सेक्टर में एंट्री चाहता है ब्रिटेन, लेकिन भारत तैयार नहीं
ब्रिटेन FTA के जरिए भारत के सर्विस सेक्टर में एंट्री चाहता है। लेकिन भारतीय पक्ष की ओर से अभी इसकी मंजूरी नहीं दी गई है। ब्रिटेन अपनी लीगल और फाइनेंसशियल फर्म को भारत में लाना चाहता है। ब्रिटेन कारों और अल्कोहल पर टैक्स में कमी भी चाहता है। ब्रिटेन सरकार का कहना है कि ब्रिटिश कारों और अल्कोहल पर टैक्स देने से उसकी कंपनियों को कारोबार में नुकसान उठाना पड़ता है। वहीं, भारत अपने डेयरी प्रोडक्ट को ब्रिटेन के बाजारों में एंट्री दिलाना चाहता है। इसके लिए दोनों के बीच बात चल रही है। दोनों देशों में 8 लाख करोड़ रुपए के व्यापार का लक्ष्य
भारत और ब्रिटेन की कीर स्टार्मर सरकार ने रोडमैप 2030 के तहत 8 लाख करोड़ रुपए के व्यापार का लक्ष्य रखा है। 2023-24 में दाेनों देशों के बीच 4 लाख करोड़ रुपए के व्यापार का अनुमान है। एक रिपोर्ट के मुताबिक 2021-22 में भारत-ब्रिटेन के बीच व्यापार एक लाख 452 हजार करोड़ जबकि 2022-23 में ये एक लाख 45 हजार करोड़ रुपए था। नेता प्रतिपक्ष के पद से हटाए जाएंगे ऋषि सुनक: भारतवंशी प्रीति पटेल रेस में सबसे आगे, ये पार्टी में सुनक की कट्टर विरोधी थीं ब्रिटेन की कंजर्वेटिव पार्टी में अध्यक्ष पद के लिए चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो गई है। ऋषि सुनक की जगह पार्टी की कमान लेने किए 6 उम्मीदवारों ने नामांकन किया है। इसके लिए 3 महीने तक इनके बीच मुकाबला होगा। कंजर्वेटिव पार्टी को 4 जुलाई को हुए चुनाव में करारी हार मिली थी। इस वजह से वे 14 साल की सत्ता गंवा बैठे थे। चुनाव के बाद सुनक ने पार्टी चीफ के पद से इस्तीफा नहीं दिया था। वे संसद में विपक्ष के नेता हैं। पूरी खबर यहां पढ़ें…
Credit: Dainik Bhaskar