रूस ने बांग्लादेश से रूपपुर न्यूक्लियर पावर प्लांट के लिए दिए गए कर्ज का ब्याज चुकाने को कहा है। यह ब्याज 630 मिलियन डॉलर (करीब 5,300 करोड़ रुपए) है। रूसी अधिकारियों ने ब्याज चुकाने के लिए 15 सितंबर तक की डेटलाइन दी है। बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक रूसी अधिकारियों ने 21 अगस्त को बांग्लादेश की इकोनॉमिक रिलेशन डिविजन (ERD) को चिट्ठी लिखी थी। यह चिट्ठी अब जाकर स्थानीय पत्रकारों तक पहुंची है। इसमें ERD से कहा गया है कि बकाए का भुगतान अमेरिकी डॉलर या फिर चीनी युआन में किया जाए। उन्होंने इसे बैंक ऑफ चाइना की शंघाई शाखा में जमा करने को कहा है। शेख हसीना के तख्तापलट के बाद ये पैसा चुकाने की जिम्मेदारी अंतरिम सरकार पर आ गई है। इससे पहले अडाणी ग्रुप ने भी बांग्लादेश से बिजली बिल का 800 मिलियन डॉलर (करीब 6,700 करोड़ रुपए) बकाया मांगा था। रूस ने सिर्फ 4 फीसदी ब्याज पर कर्ज दिया
रिपोर्ट के मुताबिक रूस ने न्यूक्लियर पावर प्लांट के लिए बांग्लादेश को 12.65 बिलियन डॉलर (1.06 लाख करोड़ रुपए) कर्ज दिया था। वह इस पर 4% के हिसाब से ब्याज ले रहा है। शर्तों के मुताबिक देरी होने पर बांग्लादेश को 2.4% और ज्यादा यानी कि 6.4% के हिसाब से ब्याज चुकाना पड़ सकता है। 15 सितंबर को रविवार है। इसके अगले दो दिन यानी कि 16 और 17 सितंबर को चीन में बैंक बंद रहेंगे। ऐसे में बांग्लादेश के पास 18 तारीख तक कर्ज का ब्याज जमा करने का वक्त है। बांग्लादेश ने कर्ज चुकाने के लिए समय मांगा, रूस का इनकार
रूस और बांग्लादेश के बीच दिसंबर 2015 में कर्ज को लेकर सहमति बनी थी। इसमें कर्ज का 90% हिस्सा रूपपुर न्यूक्लियर पावर प्लांट पर खर्च करना था। समझौते की शर्तों के मुताबिक बांग्लादेश को मार्च 2027 से अगले 30 सालों तक हर साल 2 किश्त में रूस को 189.66 मिलियन डॉलर देना होगा। इसमें 10 सालों का ग्रेस पीरियड भी है। इससे पहले अप्रैल में बांग्लादेश ने रूस से कर्ज भुगतान करने में 2 साल की छूट मांगी थी। बांग्लादेश चाहता था कि वह मार्च 2029 से कर्ज चुकाए। तब शेख हसीना की सरकार ने भुगतान में देरी के लिए कोरोना, आर्थिक मंदी समेत और कई चीजों का हवाला दिया था। बांग्लादेश ने यह भी प्रस्ताव दिया था कि रूस कर्ज लेने के बजाए देश के नए प्रोजेक्ट या फिर शेयर मार्केट में निवेश कर सकता है। इसके अलावा बांग्लादेश ने रूस को बांग्लादेश से सामान खरीदने का भी प्रस्ताव दिया था। हालांकि नई चिट्ठी में रूस ने साफ कर दिया है उसे कोई प्रस्ताव मंजूर नहीं है। बांग्लादेश को मार्च 2027 से ही कर्ज का मूल चुकाना होगा। बांग्लादेश में बन रहा पहला न्यूक्लियर पावर प्लांट
बांग्ला अखबार डेली स्टार के मुताबिक बांग्लादेश पिछले कुछ दशक से बिजली की समस्या का सामना कर रहा है। ईंधन की कीमतें बढ़ती जा रही हैं। इस वजह से बिजली का उत्पादन और महंगा होता जा रहा है। इससे निपटने के लिए बांग्लादेश ने परमाणु से बिजली पैदा करने पर काम करना शुरू किया था। इसके लिए बांग्लादेश और रूस के बीच साल 2010 में एक समझौता हुआ था जिसके तहत ढाका से 160 किमी दूर पद्मा (गंगा) नदी के किनारे रूपपुर न्यूक्लियर पावर प्लांट बनाने पर सहमति बनी। 2017 में आखिरकार इस पर काम शुरू हुआ। इसे रूसी न्यूक्लियर एजेंसी रोसएटॉम बना रही है। दो यूनिटों वाला यह प्लांट 2,400 मेगावॉट बिजली पैदा करेगा जिससे 1.5 करोड़ घरों को बिजली सप्लाई की जा सकेगी। रोसएटॉम ने इसी साल जुलाई में बताया था कि इस प्रोजेक्ट में भारत की कुछ कंपनियां भी सहयोग कर रही हैं। तब इसका 85% काम पूरा हो गया था। बांग्लादेश में हुए सत्ता परिवर्तन के बाद एजेंसी ने कहा था कि काम जारी रहेगा। अडाणी ने भी मांगे 800 मिलियन डॉलर
डेली स्टार की 8 सितंबर की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि अडाणी ग्रुप, बांग्लादेश के बिजली विभाग (PDB) से कई बार बकाया मांग चुका है। अडाणी पावर झारखंड लिमिटेड से बिजली खरीद का औसत मासिक बिल 100 मिलियन डॉलर है जबकि PDB सिर्फ 20 मिलियन डॉलर का औसतन भुगतान कर पाया है। बांग्लादेश और अडाणी पावर झारखंड लिमिटेड (APJL) के साथ नवंबर 2017 में 25 साल के लिए बिजली समझौता हुआ था। इसके तहत बांग्लादेश AJPL के गोड्डा प्लांट से उत्पादित 100% बिजली खरीदेगा। इस प्लांट से बांग्लादेश की बिजली जरूरतों की 10% मांग पूरी होती है।
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