दुनिया के सबसे बड़े इन्वेस्टर वॉरेन बफे की कंपनी बर्कशायर हैथवे ने बुधवार को पहली बार 1 ट्रिलियन डॉलर (करीब 84 लाख करोड़ रुपए) के मार्केट कैप को पार किया। इस मुकाम को हासिल वाली यह दुनिया की पहली नॉन टेक कंपनी है। इस मुकाम पर 6 और कंपनियां पहुंच चुकी हैं। कंपनी ने यह उपलब्धि ऐसे वक्त हासिल की जब उसने अपने पोर्टफोलियो की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी बैंक ऑफ अमेरिका के 8,245 करोड़ रुपए के शेयर बेचे। यह बिक्री बीते कुछ हफ्तों में की गई है। कंपनी जुलाई से बैंक ऑफ अमेरिका के 12.9 करोड़ शेयर 45,338 करोड़ रुपए (5.4 अरब डॉलर) में बेच चुकी है। इस साल बैंक ऑफ अमेरिका के शेयर 31% तक बढ़ चुके हैं। कुछ एक्सपर्ट इसे बफे के लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजी में बदलाव के संकेत के रूप में देख रहे हैं। इससे पहले उन्होंने एपल के 38.9 करोड़ शेयर बेचे थे। बफे के अपने पसंदीदा शेयर बेचने के तीन कारण… 1. उत्तराधिकारियों के लिए नकदी जुटा रहे, ताकि फ्री हैंड मिले
बफे 30 अगस्त यानी कल 94 साल के हो रहे हैं। हाल ही में कंपनी की बैठक में बफे ने कहा था कि वह अच्छा महसूस कर रहे हैं, लेकिन इस उम्र में उनके मन में अपने उत्तराधिकारियों के लिए ठोस योजनाएं जरूर होंगी। उन्होंने कहा कि कंपनी की बढ़ती नकदी अच्छे शेयर न ढूंढ पाने का नतीजा है। ऐसे में बफे अपने उत्तराधिकारियों को बहुत अधिक मौका देना चाहते हैं। यदि उन्होंने 16 लाख करोड़ रुपए की नकदी को लगा दिया तो उनके उत्तराधिकारियों की भूमिका सीमित हो जाएगी। वे बफे के फैसले को बदलने में झिझक महसूस कर सकते हैं। 2 . कॉर्पोरेट टैक्स 21% से 35% होने का अंदेशा, ऐसे में प्रॉफिट बुक कर रहे
बफे ने एपल में हिस्सेदारी कम करने पर कहा, ‘मैं टैक्स को लेकर चिंतित हूं। हम एपल से प्रॉफिट बुक करने पर 21% टैक्स दे रहे हैं। यह दर पहले 35% थी और उससे पहले 52% रही है। 2017 टैक्स कट्स एंड जॉब्स एक्ट के तहत टैक्स दर 35% से घटाकर 21% की गई थी।’ हालांकि, ये कटौती अगले वर्ष खत्म होने वाली है और पुरानी दरें लागू हो जाएंगी। इन दरों पर एपल का मूल्यांकन उतना सस्ता नहीं होगा। 3. बफे बैंक ऑफ अमेरिका के 9 लाख करोड़ रु. के घाटे से दुखी हैं
बैंक ऑफ अमेरिका का P/E रेश्यो एपल की तुलना में बहुत कम है, जो 15 गुना आय पर है, लेकिन बफे के स्टॉक के स्वामित्व के बाद से यह पिछले सात वर्षों के उच्चतम स्तर के करीब है। हाल की तिमाही में बैंक ऑफ अमेरिका की शुद्ध ब्याज आय में भी गिरावट देखी गई। 31 मार्च तक, बैंक ऑफ अमेरिका को 9 लाख करोड़ रुपए (109 अरब डॉलर) का घाटा हुआ था, जो बैंकिंग उद्योग में सबसे बड़ा है। जब निवेशक घबरा रहे थे, तब बफे ने लिए थे ये शेयर
बर्कशायर हैथवे के पास अभी भी बैंक ऑफ अमेरिका के 90.38 करोड़ शेयर हैं, जिनकी कुल कीमत 3.01 लाख करोड़ रुपए (35.9 अरब डॉलर) है। यह निवेश बफे की दूसरी सबसे बड़ी स्टॉक होल्डिंग है। बफे ने इस निर्णय के पीछे की वजह का खुलासा नहीं किया है। बफे ने इस स्टॉक को तब भी रखा, जब उन्होंने 2020 और 2023 की शुरुआत के बीच अपने लगभग सभी अन्य वित्तीय स्टॉक बेच दिए। सालाना 20% की रेट से बढ़ा वर्कशायर का मार्केट कैप
बर्कशायर का मार्केट कैप 1965 से पिछले वर्ष तक प्रति वर्ष लगभग 20% बढ़ा है। यह उस समय में SP 500 के वार्षिक रिटर्न से लगभग दोगुना है। इसने बफे को दुनिया के सबसे अमीर लोगों में से एक और शायद अब तक का सबसे होशियार निवेशक बना दिया है। कंपनी का मार्केट कैप इस साल 16.79 लाख करोड़ रु. बढ़ गया है। बफे ने 2008 की मंदी के बाद 2011 में बैंक ऑफ अमेरिका के शेयर लेने शुरू किए थे, तब बाकी निवेशक बैंकिंग इंडस्ट्री में निवेश करने को लेकर चिंतित थे। तब बैंक ऑफ अमेरिका के शेयर 5 डॉलर के करीब थे। अब 39.67 डॉलर पर है। ये खबर भी पढ़ें… वॉरेन बफे ने एपल में अपनी आधी हिस्सेदारी बेची: कैश स्टॉक बढ़कर ₹23.20 लाख करोड़ हुआ, दुनिया के 7वें सबसे अमीर व्यक्ति हैं अमेरिकी अरबपति और निवेशक वॉरेन बफे की कंपनी बर्कशायर हैथवे Inc ने आईफोन बनाने वाली एपल में अपनी करीब 50% हिस्सेदारी बेच दी है। इस बिकवाली के बाद वॉरेन बफे का कैश स्टॉक बढ़कर रिकॉर्ड 276.9 बिलियन डॉलर (करीब 23.20 लाख करोड़ रुपए) हो गया है। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…
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