लद्दाख के सोशल एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक और 150 अन्य प्रदर्शनकारियों को दिल्ली के बवाना पुलिस थाने से बुधवार को रिहा किया गया। दिल्ली पुलिस की एक टीम सभी को राजघाट ले गई हैं। सोनम और उनके साथियों ने महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी। सोनम की मांग लद्दाख को पूर्ण राज्य बनाने, स्थानीय लोगों के लिए नौकरी में आरक्षण, लेह और कारगिल के लिए एक-एक संसदीय सीट और संविधान की छठी अनुसूची लागू करने की है। इसको लेकर वे काफी समय से आंदोलन कर रहे हैं। 30 सितंबर की रात हिरासत में लिए गए थे वांगचुक और अन्य प्रदर्शनकारी
सोनम अपनी मांगों को लेकर 1 सितंबर को दिल्ली तक पैदल मार्च पर निकले थे। 2 अक्टूबर को उनका मार्च राजघाट पर खत्म होना था। 30 सितंबर की रात सोनम और 150 लोग दिल्ली पहुंचे थे। वे दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर रात बिताना चाहते थे। दिल्ली में 5 अक्टूबर तक धारा 163 लागू है। दिल्ली पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को वापस जाने के लिए कहा गया। जब वे नहीं माने तो पुलिस ने एक्शन लेते हुए सभी को हिरासत में लिया था। वांगचुक को बवाना पुलिस थाने ले जाया गया था। अन्य प्रदशर्नकारियों को दूसरे थानों में भेजा गया था। वांगचुक का अनशन थाने में भी जारी रहा था। अगले दिन 1 अक्टूबर को वांगचुक को रात में दिल्ली के सेंट्रल एरिया की ओर जाने से रोका गया था, लेकिन वे मान नहीं रहे थे। इसके बाद उन्हें दूसरी बार पुलिस ने हिरासत में लिया था। वांगचुक ने 30 सितंबर का रात हिरासत के बाद X पर पोस्ट शेयर की थी। मुझे दिल्ली की बॉर्डर पर हिरासत में से लिया गया है। यहां 1,000 पुलिसवाले थे। हमारे साथ कई बुजुर्ग हैं। हमारे भाग्य क्या लिखा है, हमें नहीं पता। हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और लोकतंत्र की जननी में बापू की समाधि तक शांतिपूर्ण मार्च पर थे। हे राम। एपेक्स बॉडी के ऑर्डिनेटर बोले- 24 घंटे से ज्यादा हिरासत में
मंगलवार रात को दूसरी बार गिरफ्तारी के बाद लेह एपेक्स बॉडी के ऑर्डिनेटर जिग्मत पलजोर का बयान सामने आया था। उनका कहना है कि गिरफ्तारी को 24 घंटे से ज्यादा हो गए है और हमें अभी भी मजिस्ट्रेट के सामने पेश नहीं किया गया है। ऐसा करना अवैध है। पलजोर ने बताया था कि वांगचुक के अनशन को 36 घंटे हो चुके है। वे 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए राजघाट जाना चाहते थे, लेकिन उन्हें वहां जाने से रोका गया। लेह से 1 सितंबर को निकले प्रदर्शनयात्रियों ने हरियाणा को छोड़कर पूरा रास्ता पैदल पूरा किया है। हरियाणा में वे बसों में बैठे, जहां उन्होंने अनशन शुरू कर दिया। वांगचुक को हिरासत में लेने पर किसने क्या कहा? राहुल गांधी: पर्यावरण और संवैधानिक अधिकारों के लिए शांतिपूर्वक मार्च कर रहे सोनम वांगचुक जी और सैकड़ों लद्दाखियों की हिरासत में लेना सही है। लद्दाख के भविष्य के लिए खड़े होने वाले बुजुर्ग नागरिकों को दिल्ली की सीमा पर हिरासत में क्यों लिया जा रहा है? मोदी जी, किसान बिल की तरह ये चक्रव्यूह और आपका अहंकार टूटेगा। आपको लद्दाख की आवाज सुननी होगी। मल्लिकार्जुन खड़गे: सत्ता के नशे में चूर मोदी सरकार ने कायरतापूर्ण कार्रवाई है। मोदी सरकार अपने मित्रों को लाभ पहुंचाना चाह रहे हैं। यह घटना हमें बताती है कि मोदी सरकार के खिलाफ हमारी लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। आतिशी: लद्दाख के लोग राज्य का दर्जा चाहते हैं। सोनम वांगचुक और लद्दाख के लोग, जो बापू की समाधि पर जा रहे थे, उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। उन्होंने मुझे सोनम वांगचुक से मिलने नहीं दिया। यह भाजपा की तानाशाही है। हम सोनम वांगचुक का पूरा समर्थन करते हैं। मार्च में सोनम वांगचुक ने 21 दिन की भूख हड़ताल की थी सोनम वांगचुक लद्दाख को पूर्ण राज्य बनाने, स्थानीय लोगों के लिए नौकरी में आरक्षण, लेह और कारगिल के लिए एक-एक संसदीय सीट और संविधान की छठी अनुसूची लागू करने की मांग को लेकर काफी समय से प्रदर्शन कर रहे हैं। इसी साल मार्च में सोनम ने 21 दिन की भूख हड़ताल की थी। भूख हड़ताल खत्म करने के बाद सोनम वांगचुक ने कहा था- ये आंदोलन का अंत नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत है। अपनी मांगों को लेकर हमें जब तक आंदोलन करना पड़े, हम करेंगे। यब खबर भी पढ़ें.. वांगचुक बोले-लद्दाख में लोकतंत्र कम, हमसे तो पाकिस्तान बेहतर:बॉर्डर पर रहने वालों का दम घुटा, तो नुकसान होगा दैनिक भास्कर ने लद्दाख के मुद्दों पर सोनम वांगचुक से बात की। उन्होंने कहा कि लद्दाख में लोकतंत्र की स्थिति कमजोर हुई है। उन्होंने चीन और पाकिस्तान का भी जिक्र किया। पढ़िए पूरा इंटरव्यू। पूरी खबर पढ़ें
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