स्वीडन अपने ही नागरिकों को देश छोड़ने के पैसे देगा:बड़ों को 80 हजार, बच्चों को 40 हजार मिलेंगे, जाने का किराया भी मिलेगा

स्‍वीडन ने अपने ही देश के नागरिकों को देश छोड़ने के लिए ऑफर दिया है। स्‍वीडन की इमीग्रेशन मिन‍िस्‍टर मारिया माल्मर स्टेनगार्ड ने ये प्रस्‍ताव पेश क‍िया है। स्टेनगार्ड ने कहा कि जिन्हें स्वीडन की संस्कृति पसंद नहीं है या फिर वे लोग जो यहां घुलमिल नहीं पाए हैं वे स्वीडन छोड़ सकते हैं। यूरोपीयन वेबसाइट द नेशनल्स के मुताबिक स्वीडन में अभी भी देश छोड़ने पर पैसे दिए जाते हैं। पहले विदेश से आकर स्वीडन में बसने वाले नागरिकों पर ही ये नियम लागू होता था, लेकिन नए प्रावधान के तहत जन्मजात नागरिकों पर भी ये नियम लागू होगा। मौजूदा नियमों के मुताबिक यदि कोई स्वीडिश नागरिक देश छोड़ता है तो उसे 10 हजार स्वीडिश क्रोन (80 हजार रुपए) मिलते हैं। बच्चों को देश छोड़ने पर 40 हजार रुपए मिलते हैं। इसके अलावा उन्हें किराए के पैसे भी मिलते हैं। ये पैसा उन्हें एक बार में ही देश छोड़ने से पहले मिल जाता है। 50 सालों में पहली बार देश छोड़ने वाले लोग बढ़े
नए प्रस्‍ताव के मुताबिक, अब इसमें देश के सभी नागर‍िकों को शामिल क‍िया जाएगा। देश छोड़कर जाने वालों को और अधिक पैसे देने और इसे बढ़ाकर 14,800 डॉलर (करीब 12 लाख रुपए) करने पर विचार हुआ था, लेकिन इसे खारिज कर दिया गया। सरकार का कहना है कि अगर देश छोड़ने पर पैसे बढ़ाए गए तो इससे संदेश जाएगा कि स्वीडन लोगों को पसंद नहीं करता। हैरानी की बात ये है कि स्वीडन में ये प्रस्ताव तब पास हुआ है जब देश छोड़ने वाले लोगों की संख्या बढ़ गई है। स्वीडिश माइग्रेशन एजेंसी के मुताबिक 2024 में स्वीडन में आने वाले लोगों की संख्या कम हो गई है। 50 सालों में ये पहली बार हुआ है। प्रवासियों की आबादी बढ़ी, मूल आबादी देश छोड़ रही
स्वीडन में भले ही देश छोड़ने वाले लोग बढ़े हों मगर यहां की आबादी बढ़ती जा रही है। दरअसर स्वीडन के मूल वासी अमेरिका जैसे देशों में ठिकाना तलाश रहे हैं। वहीं, प्रवासियों के लिए स्वीडन पसंदीदा जगह बना हुआ है। स्वीडन में प्रवास‍ियों की संख्‍या 20 लाख से भी ज्‍यादा हो गई है, जो स्‍वीडन की कुल आबादी का पांचवां ह‍िस्‍सा है। प्रवासियों की बढ़ती आबादी को कंट्रोल करने के लिए सरकार ने कई पाबंद‍ियां लगा चुकी हैं। स्वीडन में सीरिया, सोमालिया, ईरान और इराक से आए लोगों की आबादी काफी ज्यादा है। देश में हिंसक घटनाएं बढ़ीं, प्रवासियों पर लग रहे आरोप
हाल के कुछ सालों में स्वीडन में हिंसा की कई घटनाएं दर्ज की गई हैं। पुलिस के आंकड़ों के अनुसार पिछले साल स्वीडन में कम से कम 348 गोलीबारी की घटनाएं हुईं। इनमें कम से कम 52 लोग मारे गए। हिंसा की इन घटनाओं को प्रवासियों की बढ़ती आबादी से जोड़कर देखा जा रहा है। स्वीडन ने नब्बे के दशक से बड़ी संख्या में प्रवासियों को शरण देता आ रहा है लेकिन अक्टूबर 2022 में उल्फ क्रिस्टर्सन के प्रधानमंत्री बनने के बाद से देश की नीति में बदलाव आया है। दरअसल उनकी सरकार गठबंधन के सहारे चल रही है। इसमें दक्षिणपंथी स्वीडन डेमोक्रेट्स का भी समर्थन हासिल है। ये पार्टी प्रवासी विरोध के नाम पर राजनीति करती है। उनका मानना है कि शरणार्थियों से देश की संस्कृति ही नहीं, अर्थव्यवस्था को भी नुकसान पहुंचता है। तुर्किये की संसद में 30 मिनट तक चले लात-घूंसे, 3 विपक्षी नेता घायल तुर्किये की संसद में शुक्रवार को जमकर मारपीट हुई। सांसदों ने एक दूसरे पर लात-घूंसे चलाए। यह मारपीट करीब 30 मिनट तक चली। इसमें 3 विपक्षी सांसद घायल हो गए। वीडियो फुटेज में स्पीकर के पोडियम की सीढ़ियों पर खून के छींटे भी नजर आए। पूरी खबर यहां पढ़ें…

Credit: Dainik Bhaskar

Comments

No comments yet. Why don’t you start the discussion?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *