हरियाणा में चुनाव हारते ही समाज सेवा से किनारा:3 पूर्व विधायकों ने फ्री बसें बंद कीं; 5 रुपए वाली रसोई पर भी ताला

हरियाणा के विधानसभा चुनाव में कई नेताओं को हार का झटका लगा है। समाजसेवी बनकर फील्ड में पहचान बनाने के बाद चुनावी मैदान में उतरे कई नेताओं ने हार के बाद अब समाजसेवा ही बंद कर दी। प्रदेश में ऐसे कई नेता हैं, जिन्होंने इन सेवाओं के बदले में विधायक बनने की चाह रखी थी, लेकिन उनके क्षेत्र की जनता ने उन्हें अपना विधायक नहीं चुना। कार्यवाहक मुख्यमंत्री नायब सैनी के खिलाफ लाडवा में निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले भाजपा के बागी संदीप गर्ग ने हारते ही आम लोगों को पांच रुपए में भरपेट खाना खिलाने वाली रसोई बंद कर दी। इसके अलावा, हरियाणा जनसेवक पार्टी (HJP) प्रमुख एवं महम से पूर्व विधायक बलराज कुंडू ने महम हलके की छात्राओं को रोहतक तक निशुल्क बस सुविधा देने में असमर्थता जताई है। साथ ही चुनाव से पहले आचार संहिता का हवाला देकर बस बंद करने वाले समालखा से कांग्रेस के पूर्व विधायक धर्म सिंह छौक्कर और पूर्व निर्दलीय विधायक रविंद्र मच्छरौली ने हार के बाद बसों का फिर संचालन नहीं किया। लाडवा: संदीप को 2,262 वोट मिले लाडवा में संदीप गर्ग भाजपा से टिकट मांग रहे थे। यहां भाजपा ने कार्यवाहक मुख्यमंत्री नायब सैनी को उम्मीदवार बनाया। इसके बाद संदीप गर्ग बागी हो गए और निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया। इस चुनाव में उन्हें सिर्फ 2,262 वोट मिले। संदीप गर्ग ने अप्रैल 2022 में लाडवा के पुराने डाकखाने के पास रसोई खोली थी। यहां वह लोगों को 5 रुपए में भरपेट खाना खिलाते थे। इसके बाद उन्होंने हलके के ही डीग गांव, बाबैन, मथाना, उमरी के अलावा रादौर व शाहाबाद में भी रसोई की शुरुआत की। चुनाव परिणाम आने के अगले दिन तक ये रसोई चल रही थी, लेकिन अब इन्हें बंद कर दिया गया। लाडवा की रसोई में प्रतिदिन करीब 300 लोग खाना खाते थे। महम: बलराज कुंडू 18 बसें चलाते थे
हरियाणा जनसेवक पार्टी के प्रमुख व महम से पूर्व विधायक बलराज कुंडू ने महम हलके की छात्राओं को रोहतक तक निशुल्क बस सुविधा देने के लिए 2014 में एक साथ 18 बसें चलाई थीं। विभिन्न रूट पर इन बसों से 42 गांवों की 1,800 बेटियां सफर करती थीं। 2024 में चुनाव हारे के बाद कुंडू के कार्यालय में समर्थकों ने बसें चलाना बंद करने की मांग करते हुए कहा कि बसों का लाभ लेने वालों ने भी अहसान नहीं माना। इस पर कुंडू ने कहा कि अब वे अन्य हलकों में बसें चलाएंगे। महम हलके में जब तक कार्यकर्ता नहीं कहेंगे, तब तक बसें बंद रहेंगी। विधायक बनने पर मैंने बेटियों की समस्या को समझा और बसें चलाईं। अब कार्यकर्ताओं के दबाव में झुकना पड़ा। समाजसेवा के लिए मैं अब भी बसें चलाने के लिए तैयार हूं, लेकिन मौजूदा विधायक जिम्मेदारी संभालें। मैं अगला चुनाव दीपेंद्र हुड्‌डा के सामने लड़ूंगा। समालखा: छौक्कर व मच्छरौली ने नामांकन से पहले बंद की बसें
समालखा से कांग्रेस के उम्मीदवार और पूर्व विधायक धर्म सिंह छौक्कर ने छात्राओं की सुविधा को लेकर बापौली व समालखा से पानीपत तक के लिए बसें चला रखी थीं। दोनों स्थानों से एक-एक बस छात्राओं को पानीपत लाती और छोड़ने जाती थीं। एक बस समालखा से खानपुर मेडिकल कॉलेज तक मरीजों और तीमारदारों को लेकर आती-जाती थी। समालखा के ही पूर्व विधायक रविंद्र मच्छरौली इस बार निर्दलीय मैदान में थे। उन्होंने चुनाव से 6 महीने पहले 4 बसें हरिद्वार व एक वृंदावन के लिए चलाई थीं। नामांकन से पहले उन्होंने इन बसों का संचालन बंद कर दिया। अब चुनाव हारने के बाद उन्होंने दोबारा बसों का संचालन नहीं किया।

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