दिल्ली यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स यूनियन यानी DUSU इलेक्शन के लिए दूसरे सेशन की पोलिंग शाम 7:30 बजे खत्म हो गई। पहले शिफ्ट की वोटिंग सुबह 8:30 बजे से शुरू हुई थी। इलेक्शन के रिजल्ट कल यानी शनिवार को जारी होने थे लेकिन इलेक्शन कैंपेन में हुई गंदगी को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने फिलहाल काउंटिंग पर रोक लगा दी है। इसके चलते अभी रिजल्ट में देरी हो सकती है। पोलिंग के दौरान व्यवस्था बनाए रखने के लिए यूनिवर्सिटी के सभी कॉलेजों के आसपास भारी पुलिस बल तैनात किया गया था। डे क्लास स्टूडेंट्स दोपहर 1 बजे तक वोट डाल सकते थे जबकि इवनिंग शिफ्ट वाले स्टूडेंट्स ने दोपहर 3 से शाम के 7:30 बजे तक वोट डाले। काउंटिंग पर दिल्ली हाईकोर्ट ने रोक लगाई DUSU के इलेक्शन के लिए 28 सितंबर को काउंटिंग होनी थी जिसके बाद इसी दिन रिजल्ट डिक्लेयर किया जाना था। लेकिन फिलहाल इस पर दिल्ली हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने कहा कि जब तक पब्लिक और प्राइवेट प्रॉपर्टी से इलेक्शन से जुड़े पोस्टर्स, ग्राफीटी आदी को साफ नहीं किया जाएगा काउंटिंग नहीं होगी। दिल्ली हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस तुषार राव गेडेला की बेंच ने कहा, ‘इलेक्शन की प्रक्रिया जैसे चल रही वैसे चल सकती है लेकिन फिलहाल काउंटिंग तभी होगी जब साफ-सफाई को लेकर कोर्ट सैटिस्फाइड होगा।’ कोर्ट ने दिल्ली यूनिवर्सिटी को लगाई फटकार कोर्ट ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से कहा कि इलेक्शन से जुड़ी साफ-सफाई के लिए MCD और दिल्ली मेट्रो का जो खर्चा होगा वो यूनिवर्सिटी को ही चुकाना होगा। इसके बाद यूनिवर्सिटी इलेक्शन में खड़े होने वाले कैंडिडेट्स से वो खर्चा वसूल सकती है। मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली यूनिवर्सिटी को भी कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि ये असल में यूनिवर्सिटी का फेल्योर है। कोर्ट ने कहा कि यूनिवर्सिटी के कैंडिडेट्स नियमों का उल्लंघन करते रहे और यूनिवर्सिटी ने कोई एक्शन नहीं लिया, यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण है। इसके कारण यूनिवर्सिटी का स्तर गिर गया है। कोर्ट ने कहा कि DU के वाइस चांसलर को एक सिस्टम बनाना चाहिए था लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया। ऐसा कैसे हो गया कि ये कैंडिडेट्स अपने इलेक्शन कैंपेन में लग्जरी गाड़ियों का इस्तेमाल करते रहे। एडवोकेट प्रशांत मनचंदा ने इसके लिए कोर्ट में पिटीशन डाली थी और मांग की थी कि इलेक्शन में खड़े होने वाले कैंडिडेट्स और उनकी पार्टीयों को पब्लिक प्लेसेज पर लगे पोस्टर्स, ग्राफीटी आदि को साफ करना चाहिए। साथ ही उन्हें उन जगहों की मरम्मत भी करानी चाहिए जहां इलेक्शन कैंपेन के दौरान टूट-फूट हो गई थी। एडवोकेट मनचंदा ने पिटीशन के साथ कैंडिडेट्स के गंदगी फैलाते और कैंपेन में लग्जरी गाड़ियों का इस्तेमाल करते फोटोग्राफ्स कोर्ट में सब्मिट किए थे। इसके अलावा DU के कुछ स्टूडेंट्स ने भी इसी संबंध में पिटीशन डाली थी जिन्हें कोर्ट में एडवोकेट गोविंद जी रिप्रेजेंट कर रहे थे। अपनी पावर का इस्तेमाल करे यूनिवर्सिटी- HC कोर्ट ने कहा कि ये स्टूडेंट्स हायर एकेडमिक्स कर रहे हैं। यूनिवर्सिटी के पास कोर्ट से ज्यादा पावर है। अगर स्टूडेंट्स बात नहीं मानते हैं तो उन्हें सीधे कॉलेज से बाहर निकालिए। फिर क्या इलेक्शन लड़ेंगे और क्या जीतेंगे। यूनिवर्सिटी एक मॉरल अथॉरिटी है और अगर कोर्ट एक्शन ले सकती है तो यूनिवर्सिटी क्यों नहीं?
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