नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने कैपिटल मार्केट सेगमेंट में T+0 सेटलमेंट साइकिल को लागू करने का फैसला अगले नोटिस तक टाल दिया है। NSE ने आज (27 सितंबर) कहा कि अब यह कब लागू किया जाएगा, इसके लिए अलग से सर्कुलर जारी किया जाएगा। इस सेटलमेंट साइकिल के तहत ट्रेड उसी दिन सेटल होता है जिस दिन इसका ऑर्डर प्लेस होता है। यानी जिस दिन शेयर्स को बेचा जाता है, पूरा पैसा उसी दिन अकाउंट में क्रेडिट हो जाता है। इससे पहले मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया ने 28 मार्च से स्टॉक मार्केट में ऑप्शनल बेसिस पर T+0 सेटलमेंट लागू किया था। इसके बाद नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के साथ ही बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज ने अंबुजा सीमेंट्स, अशोक लीलैंड और बजाज ऑटो सहित 25 शेयरों के लिए T+0 सेटलमेंट सिस्टम का ट्रायल शुरू किया था। अभी T+1 सेटलमेंट साइकल पर काम करता है भारतीय शेयर मार्केट वर्तमान में भारतीय शेयर मार्केट सभी शेयरों के लिए T+1 सेटलमेंट साइकल पर काम करता है। T+0 का मतलब शेयर की खरीदारी और बिक्री का सेटलमेंट एक ही दिन में होगा। हमारे देश में 2002 से पहले तक T+5 सेटलमेंट का सिस्टम था। SEBI ने 2002 में T+3 सेटलमेंट को लागू किया। साल 2003 में T+2 सेटलमेंट लागू किया गया। साल 2021 तक मार्केट इसी सिस्टम पर काम करता रहा। इसके बाद T+1 सिस्टम लाया गया। इसे जनवरी 2023 में लागू किया गया। इससे फंड और शेयर का सेटलमेंट 24 घंटे में होना शुरू हो गया। क्या है T+1, T+2 और T+3 सेटलमेंट सेटलमेंट सिस्टम का मतलब बायर्स के अकाउंट में शेयर्स का ट्रांसफर और सेलर अकाउंट में बेचे गए शेयरों का अमाउंट ट्रांसफर से है। भारतीय स्टॉक एक्सचेंज वर्तमान में T+1 को फॉलो करते हैं। इसका मतलब है कि ऑर्डर के एग्जीक्यूट होने के 24 घंटे में फंड और सिक्योरिटी आपके अकाउंट में आते हैं। मान लीजिए कि आपने बुधवार को शेयर बेचे है। T+1 के अनुसार 1 बिजनेस-डे में इन शेयरों के पैसे आपके अकाउंट में ट्रांसफर हो जाएंगे। वहीं आपने शेयर खरीदे हैं तो ये शेयर 1 दिन में आपके डीमैट अकाउंट में क्रेडिट हो जाएंगे। यहीं नियम T+2 और T+3 सेटलमेंट में भी लागू होता है।
Posted inBusiness