RBI गवर्नर बोले-क्रिप्टोकरेंसी फाइनेंशियल स्टेबिलिटी के लिए बहुत बड़ा जोखिम:इसके लिए अंतरराष्ट्रीय समझ होनी जरूरी, भारत इस पर सवाल उठाने वाला पहला देश

क्रिप्टोकरेंसी फाइनेंशियल स्टेबिलिटी और मॉनेटरी स्टेबिलिटी के लिए बहुत बड़ा जोखिम है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को पीटरसन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल इकोनॉमिक्स में आयोजित एक कार्यक्रम में यह बात कही। उन्होंने कहा – मैं वास्तव में इस राय का हूं कि यह ऐसी चीज है जिसे फाइनेंशियल सिस्टम पर हावी होने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। यह बैंकिंग प्रणाली के लिए भी जोखिम पैदा करता है। यह ऐसी स्थिति भी पैदा कर सकता है जहां केंद्रीय बैंक अर्थव्यवस्था में मुद्रा आपूर्ति से नियंत्रण खो सकता है। यदि केंद्रीय बैंक अर्थव्यवस्था में मुद्रा आपूर्ति से नियंत्रण खो दे तो बैंकिंग सिस्टम में उपलब्ध लिक्किडिटी की जांच कैसे करेगा। संकट के समय में मुद्रा आपूर्ति को कम करके या मुद्रा आपूर्ति खोकर केंद्रीय बैंक महंगाई को कैसे नियंत्रित कर सकता है? इसलिए हम क्रिप्टो को एक बड़े जोखिम के रूप में देखते हैं। दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों के लिए क्रिप्टोकरेंसी चिंता का विषय
शक्तिकांत दास ने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी के लिए एक अंतरराष्ट्रीय समझ होनी चाहिए, क्योंकि लेन-देन क्रॉस-कंट्री है। इससे जुड़े बड़े जोखिमों के बारे में पूरी तरह से सचेत रहना चाहिए। मुझे नहीं लगता कि इसे प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। फाइनेंशियल स्टेबिलिटी के संरक्षक के रूप में यह दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है। सरकारें भी क्रिप्टोकरेंसी में संभावित जोखिमों के बारे में तेजी से जागरूक हो रही हैं। भारत क्रिप्टोकरेंसी के बारे में सवाल उठाने वाला पहला देश
दास ने कहा कि भारत क्रिप्टोकरेंसी के बारे में सवाल उठाने वाला पहला देश था। भारत की अध्यक्षता में G-20 में क्रिप्टो इकोसिस्टम से निपटने के तरीके के बारे में अंतरराष्ट्रीय समझ विकसित करने पर सहमति बनी थी। उन्होंने कहा कि इस संबंध में कुछ प्रगति हुई है। उन्होंने कहा – मुझे लगता है कि अभी और काम किए जाने की जरूरत है। भारत के नजरिए से, रिजर्व बैंक के नजरिए से, मुझे लगता है कि हम उन पहले केंद्रीय बैंकों में से एक हैं, जिन्होंने क्रिप्टोकरेंसी के बारे में अपनी गंभीर चिंताओं को बहुत स्पष्ट रूप से व्यक्त किया है। सिस्टम को बायपास करने के लिए क्रिप्टोकरेंसी की उत्पत्ति हुई
RBI गवर्नर ने कहा कि सबसे पहले हमें क्रिप्टोकरेंसी की उत्पत्ति को समझना होगा। इसकी उत्पत्ति सिस्टम को बायपास करने के लिए हुई थी। क्रिप्टोकरेंसी में पैसे के सभी गुण होते हैं। मूल प्रश्न यह है कि क्या हम अधिकारी के रूप में, सरकारें निजी तौर पर जारी की गई क्रिप्टोकरेंसी के साथ सहज हैं। बड़ा सवाल यह है कि क्या हम क्रिप्टो के साथ सहज हैं, जिसमें मुद्रा होने की विशेषताएं हैं। या क्या हम फिएट मुद्रा के समानांतर एक निजी मुद्रा प्रणाली रखने में सहज हैं? जाहिर है, अगर आपकी अर्थव्यवस्था का एक निश्चित हिस्सा अलग हो रहा है और उस पर क्रिप्टो एसेट्स या निजी क्रिप्टो का प्रभुत्व है तो केंद्रीय बैंक पूरी मॉनेटरी सिस्टम पर नियंत्रण खो देता है। इसलिए इससे मॉनेटरी सिस्टम में भारी अस्थिरता पैदा होगी। यह फाइनेंशियल सेक्टर में भी भारी अस्थिरता को बढ़ावा दे सकता है। इसमें बहुत बड़े जोखिम हैं, इसलिए हम यह स्पष्ट कर रहे हैं कि हमें इससे बहुत सावधानी से निपटना होगा। क्रिप्टोकरेंसी क्या होती है?
क्रिप्टोकरेंसी एक प्रकार की वर्चुअल करेंसी होती है। इसे डिजिटल करेंसी भी कहा जाता है। डॉलर या रुपए जैसी करेंसी की तरह क्रिप्टोकरेंसी से भी लेन-देन किया जा सकता है। बिटकॉइन इनमें सबसे पॉपुलर क्रिप्टोकरेंसी है। हर बिटकॉइन ट्रांजेक्शन ब्लॉकचेन के जरिए पब्लिक लिस्ट में रिकॉर्ड होता है, जो डिसेंट्रलाइज तरीके से अलग-अलग यूजर्स द्वारा किया जाने वाला रिकॉर्ड मेंटेनेंस सिस्टम है। क्रिप्टोकरेंसी का इतिहास

Comments

No comments yet. Why don’t you start the discussion?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *